वाराणसी
शुरू हुआ ‘संभव 3.0’ अभियान, गर्भवती व बच्चों में करेंगे कुपोषण की रोकथाम
रिपोर्ट – प्रदीप कुमार
अभियान के तहत ‘पोषण के 500 दिन’ के रूप में होंगी विभिन्न नवीन गतिविधियां
चार माह तक चलेगा अभियान, पोषण व स्वास्थ्य पर होगा विशेष ज़ोर
गर्भवती व बच्चों का होगा चिन्हांकन, संदर्भन, उपचार, प्रबंधन व फॉलो अप
वाराणसी। गर्भवती व बच्चों में कुपोषण की रोकथाम के लिए जनपद में संभव 3.0 अभियान एक जून से शुरू हो चुका है। विगत दो वर्षों से अभियान से प्राप्त सकारात्मक परिणाम व सफलता के आधार पर इस बार यह अभियान जून से लेकर सितंबर तक चलाया जाएगा। अभियान के तहत ‘पोषण के 500 दिन’ के रूप में विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। यह जानकारी बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) दिनेश कुमार सिंह ने दी।
डीपीओ ने कहा – अति कुपोषित यानी सीवियर एक्यूट मालन्यूट्रीशन (सैम) एवं कुपोषित यानी मॉडरेट एक्यूट मालन्यूट्रीशन (मैम) से ग्रसित बच्चों के सुपोषण के लिए सभंव 3.0 अभियान शुरू किया गया है। गर्भवती और शिशु स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए यह अभियान चार माह तक चलेगा। अभियान के तहत समस्त आठ विकास खंडों व नगरीय विकास परियोजना में 30 सितंबर तक जिले के 3914 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषण व स्वास्थ्य से जुड़ी विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। उन्होंने बताया – वर्ष 2021 में संभव अभियान एक नवाचार के रूप में प्रारंभ किया गया था, जिसमें विशेष रूप से अति कुपोषित व कुपोषित बच्चों का चिह्नांकन, उपचार व सामुदायिक स्तर पर उनके प्रबंधन के साथ कुपोषण की रोकथाम के लिए व्यवहार परिवर्तन पर जोर दिया गया था। इस बार संभव अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों के साथ पहली तिमाही की गर्भवती का वजन व ऊंचाई मापेंगी। कुपोषित बच्चों व गर्भवती को चिन्हित कर उनकी चिकित्सकीय प्रबंधन की व्यवस्था की जाएगी।
डीएमओ ने कहा – इस अभियान के दौरान पोषण 500 के रूप में एक नवीन गतिविधि आयोजित किया जाना है, जिसमें गर्भावस्था से लेकर शिशु के जन्म के प्रथम 06 माह (500 दिन) शिशु के पोषण एवं स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। प्रथम 06 माह तक 30 प्रतिशत बच्चों में दुबलापन व पतलापन होने की सम्भावना अधिक रहती है, यही बच्चे आगे चलकर कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। यदि कोई गर्भवती व धात्री महिला कुपोषण से ग्रसित है तो बच्चे में भी कुपोषण की सम्भावना बनी रहती है। शिशु कुपोषण मुक्त रहे, इसके लिए शुरूआती पहचान जरूरी होती है। इस अभियान की मुख्य थीम कुपोषित बच्चों का चिह्नांकन, संदर्भन, उपचार, प्रबंधन व फॉलो-अप है। उन्होंने बताया – इस अभियान को तीन मुख्य मासिक थीम एवं साप्ताहिक थीम के रूप में विभाजित किया गया है। जून माह में गर्भवती और शिशु की जांच की जाएगी, सैम मैम बच्चों का चिन्हांकन किया जाएगा। जुलाई को स्तनपान प्रोत्साहन माह के रूप में मनाया जाएगा, जिसके अंतर्गत प्रत्येक सप्ताह स्तनपान से जुड़ी जन जागरूक गतिविधियां की जाएंगी। अगस्त को ऊपरी आहार माह के रूप में मनाया जाएगा। प्रत्येक सप्ताह ऊपरी और अर्ध ठोस आहार के बारे में जागरूक किया जाएगा। सितंबर में सभी पंजीकृत बच्चों का पुनः वजन किया जाएगा व पोषण ट्रेकर व ई- कवच पर अपडेट किया जाएगा। इसके बाद उनके पोषण स्तर के परिवर्तन का आकलन किया जाएगा।
सितंबर में मनेगा पोषण माह – अगस्त में पोषण चौपाल का आयोजन किया जाएगा। सितंबर को पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा, जिसमें हर सप्ताह पोषण, स्वास्थ्य, स्वच्छता व शिक्षा से जुड़ी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका मासिक थीम के आधार पर गृह भ्रमण कर समुदाय को जागरूक करेंगी।
एनआरसी में भर्ती होंगे गंभीर बच्चे – अभियान के तहत बच्चों की नाम वार सूची गांव की आशा, एएनएम, ग्राम प्रधान व संबंधित कन्वर्जेंस विभागों के साथ साझा करेंगी। ऐसे बच्चों को स्वास्थ्य जांच के लिए ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) पर लेकर आएंगी। जो बच्चे गंभीर होंगे, उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र अथवा ब्लॉक चिकित्सा इकाई पर भेजा जाएगा।
कई विभागों के साथ होगा समनव्य – अभियान के सफलतापूर्वक संचालन में स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज विभाग, ग्राम्य विकास विभाग (मनरेगा व आजीविका मिशन), शिक्षा, खाद्य एवं रसद, पशुपालन, उद्यान एवं आयुष विभाग से समन्वय स्थापित किया जाएगा। यूनिसेफ व अन्य संस्थाएं भी सहयोग करेंगी।
