Connect with us

वाराणसी

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने वाराणसी के सब्जी और बीज अनुसंधान केंद्र का दौरा किया

Published

on

किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और अधिकारियों के साथ की बातचीत
मधुमक्खी पालन और एग्री स्टार्टअप विषय पर आयोजित कार्यशाला में लिया हिस्सा

वाराणसी| कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि और किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने गुरुवार को वाराणसी में भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र और राष्ट्रीय बीज अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने किसानों, कृषि वैज्ञानिक और अधिकारियों के साथ बातचीत की। मधुमक्खी पालन और एग्री स्टार्टअप विषय पर आयोजित कार्यशाला के दौरान उन्होंने मधुमक्खी पालक किसानों को आय बढ़ाने के तरीके भी बताए।
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) में
अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने संस्थान के निदेशक डॉ. तुषार कांति बेहेरा के साथ संस्थान के अनुसंधान प्रक्षेत्र का भ्रमण करते हुए किसानों से कृषि उत्पादन एवं विपणन से संबंधित विषयों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने मृदा की गुणवत्ता तथा टपक सिंचाई की महत्ता पर जोर दिया। तत्पश्चात् वैज्ञानिक से चर्चा की  तथा अनुसंधान के कार्यों की सराहना की।
इस परिचर्चा में भा.कृ.अनु.प. की बागवानी इकाई के सभी 22 संस्थान तथा भारत सरकार द्वारा पोषित 40 सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स (इण्डो इजराइल एवं इन्डोडच) के प्रतिनिधियों ने भी आनलाइन भाग लिया। डा. लिखी ने मुख्यतः मशरूम उत्पादन, चेरी टमाटर, बेबीकार्न एवं मधुमक्खी पालन पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया एवं संस्थान को इन क्षेत्रों में परियोजना बनाने की सलाह दी।
इसके अलावा मुख्य अतिथि ने एग्रो-स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए संस्थानों से तकनीकी सहायता तथा किसान समूह (एफ.पी.ओ.) को मुख्य धारा में लाने का आह्वान किया।
इस कार्यक्रम के बाद डॉ. लिखी ने राष्ट्रीय बीज अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र परिसर में ‘हनी वैल्यू चैन’ में एग्री स्टार्टअप की भूमिका विषय पर आयोजित कार्यशाला में हिस्सा लिया। नेशनल बी कीपिंग हनी मिशन (एनबीएचएम) की ओर आयोजित इस कार्यशाला में मधुमक्खी पालक किसानों ने स्टार्टअप और सफलता की कहानियों को साझा किया। कार्यशाला के दौरान एफपीओ द्वारा निर्मित शहद उत्पादों का भी शुभारंभ किया गया। कार्यशाला में शहद के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भविष्‍य की रणनीतियों के बारे में शहद प्रसंस्‍करणकर्ताओं/ निर्यातकों और एफपीओ/कृषि स्‍टार्ट अप्‍स ने अपने अनुभव साझा किए। डॉ. लिखी ने छोटे और सीमांत मधुमक्खी पालक किसानों को लाभकारी आमदनी का तरीका बताया। उन्होंने आग्रह किया कि मधुमक्खी पालक किसानों को
सशक्त बनाने के उद्देश्‍य से सभी हितधारकों यानी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) / खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी), मधुमक्खी समितियों और एजेंसियों जैसे एनडीडीबी, नैफेड और ट्राइफैड को शामिल करते हुए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) के तहत प्रयास किए जाने चाहिए।

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa

You cannot copy content of this page