वाराणसी
ज्ञानवापी मन्दिर में आदि विश्वेश्वर पर सावन में जल चढ़ाने की अनुमति मिले
रिपोर्ट : प्रदीप कुमार
वाराणसी| इस्लामी जिहादियों द्वारा लगाए गए नारे सर तन से जुदा, सर धड़ से जुदा की वजह से देशभर में हिन्दुओं का गला काटा जा रहा है। उदयपुर और अमरावती की घटनाओं को लेकर संत समाज में गहरी नाराजगी है। ज्ञानवापी मन्दिर को लेकर भी संत समाज ने सख्ती बरती है। लमही के सुभाष भवन में काशी धर्म परिषद की बैठक बुलाई गई। बैठक की अध्यक्षता कर रहे पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास जी महाराज के आदेश पर उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आत्म प्रकाश सिंह ने धर्म परिषद के सम्मुख पिछले दिनों से हिन्दू देवी देवताओं के विरुद्ध किये जाने वाली टिप्पणी को पी०पी०टी० के माध्यम से स्पष्ट किया। कानून के अनुसार ऐसे मौलानाओं के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने और लोक व्यवस्था को भंग करने का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। इस पर धर्म परिषद ने अपनी मुहर लगा दी और देश के सभी मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखकर इस्लामी जिहादियों के खिलाफ मुकदमा कर जेल भेजने की बात कही।
काशी धर्म परिषद के महासचिव पंडित ऋषि द्विवेदी ने परिषद के अध्यक्ष महंत बालक दास जी के सामने उस नारे पर ध्यान आकृष्ट कराया जिसमें बार–बार इस्लाम के नाम पर यह कहा गया कि गुस्ताखे रसूल की यही सजा ‘सर तन से जुदा, सर धड़ से जुदा।‘
काशी धर्म परिषद ने सर्वसम्मति से माना कि उदयपुर में इस्लामी जिहादियों द्वारा कन्हैया लाल के गला काटने एवं अमरावती में उमेश प्रह्लाद राव का गला काटने की घटना इसी नारे से प्रेरित है। यह नारा लगाने वाले ही हिन्दुओं के गला काटने जैसी घृणित एवं नृशंस हत्या के लिए पूर्णतः जिम्मेदार हैं। इसलिए सरकार एवं माननीय अदालत संज्ञान लेकर इन नारों को लगाकर हत्या के लिए उकसाने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। इस बात का सबूत कन्हैया लाल के हत्यारों गौस मोहम्मद और रेयाज ने खुद कबूल कर दिया था, खंजर लहराते हुए यही कहा था कि गुस्ताखे रसूल की यही सजा ‘सर तन से जुदा, सर धड़ से जुदा।‘
काशी धर्म परिषद ने प्रस्ताव पारित किया कि –
- इस्लामी जिहादियों द्वारा कन्हैया लाल के गला काटने एवं अमरावती में उमेश प्रह्लाद राव का गला काटने की घटना “गुस्ताखे रसूल की यही सजा, सर तन से जुदा, सर धड़ से जुदा” के नारे से प्रेरित है। यह नारा लगाने वाले ही हिन्दुओं के गला काटने जैसी घृणित एवं नृशंस हत्या के लिए पूर्णतः जिम्मेदार हैं।
- हिन्दू देवी देवताओं के खिलाफ टिप्पणी करने वालों के खिलाफ एक साथ एफ०आई०आर० दर्ज कराई जाएगी।
- सावन के पवित्र माह को देखते हुए प्रशासन ज्ञानवापी मन्दिर में पवित्रता के सिद्धांत को लागू करे। ऐसे व्यक्ति प्रवेश न करें जो मांसाहार का सेवन करते हों।
- आदि विश्वेश्वर पर जल चढ़ाने की कोर्ट अनुमति दे।
- इस्लामी जिहादियों और आतंकवादियों के विरुद्ध अभियान चलाने वाले काशी धर्म परिषद के अध्यक्ष महंत बालक दास जी को उच्च स्तरीय सुरक्षा दी जाए।
- खुलेआम हत्या करने का नारा लगाने वालों को जेल में डाला जाए।
- शिवलिंग को फव्वारा कहने वाले मौलानाओं के खिलाफ कड़ी कार्यवाई हो।
- देशभर में साजिश के तहत फैलाई जा रही इस्लाम के नाम पर हिंसा को तत्काल रोका जाए। कट्टरपंथी मौलानाओं को भड़काने के आरोप में जेल में डाला जाए।
काशी धर्म परिषद के प्रवक्ता डा० राजीव श्रीगुरूजी ने कहा कि भारत में सरिया कानून नहीं है। जिस तरह से खुलेआम हत्या करने का नारा लगाया जा रहा है। इससे तालीबानी सोच प्रकट होती है और ऐसे तालिबानी मानसिकता के लोगों को आज नहीं रोका गया तो कल ये रसूल की गुस्ताखी का आरोप लगाकर किसी की भी हत्या कर देंगे। इनको गला काटने का लाइसेंस मिल जायेगा और ये मूर्तियों (बूतों) की पूजा करने पर भी लगा काटने लगेंगे क्योंकि इस्लामिक कट्टरपंथी कहेंगे कि हम बुतपरश्त नहीं हैं इसलिये हम बूतों की पूजा नहीं करने देंगे। तब हम भारत देश के लोग क्या करेंगे ?
बैठक में महंत बालक दास, महंत अवध बिहारी दास, महंत राघव दास, महंत चन्द्रभूषण दास, कोतवाल विजय राम दास, पंडित ऋषि द्विवेदी, महंत महाबीर दास, डा० मुक्तिदास शास्त्री, महंत शिवकुमार दास, महंत सियाराम दास आदि संतों ने भाग लिया।