वाराणसी
क्षय उन्मूलन में रामबाण साबित होगी टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी)
टीबी मरीजों के संपर्क में आए लोगों को बचाव के लिए दी जा रही थेरेपी
वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने के लिए सभी की सहभागिता जरूरी
रिपोर्ट : मनोकामना सिंह
वाराणसी| टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए सरकार हर स्तर पर प्रयास कर रही है। वर्ष 2025 तक देश को टीबी से मुक्ति दिलाने का केंद्र सरकार ने संकल्प लिया है। इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग ने एक और पहल की है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत तय किया गया है कि जिले में पांच वर्ष तक के बच्चों को दी जाने वाली टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) अब क्षय रोगियों के परिवार के सदस्यों को भी दी जा रही है। प्रदेश में इस प्रीवेंटिव थेरेपी को समस्त जनपदों में तीन चरणों में लॉन्च किया गया है। जनपद वाराणसी में दूसरे चरण में यह थेरेपी प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ राहुल सिंह ने बताया कि टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) अब क्षय रोगियों के परिवार वालों को भी दी जा रही है। पोषण व भावनात्मक सहयोग उपलब्ध करा रही संस्थाओं के प्रयास सकारात्मक होते भी दिख रहे हैं। क्षय रोगियों के उपचार के साथ ही उनके पोषण में भी सहयोग आवश्यक है। उन्होने कहा कि क्षय उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ ही सामाजिक संगठनों, आमजन, निजी चिकित्सकों तथा अन्य लोगों को समन्वित रूप से आगे आना होगा। उन्होने बताया कि टीबी को समाप्त करने के लिये जिला क्षय रोग विभाग के सभी अधिकारी व कर्मचारी जुटे हुए हैं। इस थेरेपी के लिए सभी की स्क्रीनिंग की जा रही है, क्योंकि क्षय रोग विभाग का स्टाफ क्षय रोगियों के सीधे संपर्क में रहता है, इसलिये स्टाफ को भी थेरेपी देने के लिये प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
परिजन व संपर्क में आए लोगों की हो रही जांच – कबीरचौरा स्थित जिला क्षय केंद्र (डीटीसी) के चिकित्साधिकारी डॉ अन्वित श्रीवास्तव ने बताया कि टीबी रोगियों के परिजन व सम्पर्क में आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग व जांच की जा रही है। जांच में किसी व्यक्ति में टीबी लक्षण दिखाई दें रहें है तो संबंधित का भी उपचार और थेरेपी विभाग की ओर से किया जा रहा है। डॉट सेंटर द्वारा ही प्रिवेंटिव दवा निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं।
स्टाफ की भी हो रही स्क्रीनिंग – डॉ अन्वित ने बताया कि यदि किसी आदमी को फेफड़े की टीबी है तो वह कम से कम 15 व्यक्तियों को टीबी फैलाता है। इसलिए मरीजों के परिवार के लोगों के ऊपर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इससे पहले पांच वर्ष से कम आयु तक के सक्रिय टीबी मरीजों के संपर्क में आने वाले मरीजों को कीमोप्रोफ़ाइलिक्सिस थेरेपी दी जाती थी लेकिन अब टीबी मरीज के प्रत्येक संपर्क वाले व्यक्ति को स्क्रीनिंग उपरांत टीपीटी दी जाएगी।
लक्षण दिखे तो कराएं जांच – अगर लगातार दो हफ्ते से खांसी आए, बलगम में खून आए, रात में बुखार के साथ पसीना आए, तेजी से वजन घट रहा हो, भूख न लगे तो नजदीकी सरकारी अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र, टीबी यूनिट पर निःशुल्क टीबी जांच करवा सकते हैं। अगर जांच में टीबी की पुष्टि हो तो पूरी तरह ठीक होने तक इलाज चलाना है। इस दौरान उन्हें निक्षय पोषण योजना के तहत छह माह तक पोषण के लिए हर माह 500 रुपये सीधे मरीज के खाते में पहुंचाए जाते हैं।