वाराणसी
*नीलकंठ महादेव मंदिर और अमृतेश्वर मंदिर में भी श्रद्धालु कर सकेंगें पूजा पाठ श्री काशी विश्वनाथ धाम बनने के पश्चात मंदिर प्रशासन ने कराया जीर्णोद्धार*
रिपोर्ट प्रदीप कुमार
वाराणसी।
श्री काशी विश्वनाथ धाम में दो ऐसे दुर्लभ मंदिर हैं जो जमीन से काफी नीचे हैं इनमें से एक मंदिर श्री नीलकंठेश्वर महादेव का है जबकि दूसरा श्री अमृतेश्वर महादेव मंदिर है। इन दोनों मंदिरों का महत्व काशी खंडोक्त में भी मिलता है। धाम के निर्माण के दौरान इन दोनों मंदिरों में आम दर्शनार्थी पूजा पाठ नहीं कर पा रहे थे, लेकिन मंदिर प्रशासन ने इन मंदिरों का पुनः जीर्णोद्धार करा कर आम दर्शनार्थियों के लिए पूजा पाठ का सुगम मार्ग तैयार कर दिया है। दोनों मंदिर तंग गलियों में भवनों के भीतर थे, जिससे आम दर्शनार्थी का पहुंचना बड़ा ही मुश्किल था। अब धाम में आने वाले श्रद्धालु आसानी से इन मंदिरों में जाकर बिना किसी रोक-टोक के पूजा पाठ कर सकेंगे। सोमवार को मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री सुनील कुमार वर्मा मंदिर के ट्रस्टी श्री ब्रज भूषण ओझा और काशी विश्व विद्युत परिषद के प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी की उपस्थिति में दोनों मंदिरों का पूजन अर्चन किया गया। दोनों मंदिरों में अतिथियों ने षोडशोपचार पूजन कर आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया गया। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि मंदिर में प्रकाश और हवा की व्यवस्था के लिए ही स्टील की जाली चारों ओर लगाई गई है वहीं स्टील के चादर से ही इन मंदिरों का छाजन बनाया गया है। सीढ़ियों पर किनारे की ओर स्टील की रेलिंग भी लगाई गई है ताकि दर्शनार्थी आसानी से इन को पकड़कर नीचे जा कर पूजा पाठ कर सकेंगे।
श्री काशी विश्वनाथ धाम में दो ऐसे दुर्लभ मंदिर हैं जो जमीन से काफी नीचे हैं इनमें से एक मंदिर श्री नीलकंठेश्वर महादेव का है जबकि दूसरा श्री अमृतेश्वर महादेव मंदिर है। इन दोनों मंदिरों का महत्व काशी खंडोक्त में भी मिलता है। धाम के निर्माण के दौरान इन दोनों मंदिरों में आम दर्शनार्थी पूजा पाठ नहीं कर पा रहे थे, लेकिन मंदिर प्रशासन ने इन मंदिरों का पुनः जीर्णोद्धार करा कर आम दर्शनार्थियों के लिए पूजा पाठ का सुगम मार्ग तैयार कर दिया है। दोनों मंदिर तंग गलियों में भवनों के भीतर थे, जिससे आम दर्शनार्थी का पहुंचना बड़ा ही मुश्किल था। अब धाम में आने वाले श्रद्धालु आसानी से इन मंदिरों में जाकर बिना किसी रोक-टोक के पूजा पाठ कर सकेंगे। सोमवार को मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री सुनील कुमार वर्मा मंदिर के ट्रस्टी श्री ब्रज भूषण ओझा और काशी विश्व विद्युत परिषद के प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी की उपस्थिति में दोनों मंदिरों का पूजन अर्चन किया गया। दोनों मंदिरों में अतिथियों ने षोडशोपचार पूजन कर आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया गया। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि मंदिर में प्रकाश और हवा की व्यवस्था के लिए ही स्टील की जाली चारों ओर लगाई गई है वहीं स्टील के चादर से ही इन मंदिरों का छाजन बनाया गया है। सीढ़ियों पर किनारे की ओर स्टील की रेलिंग भी लगाई गई है ताकि दर्शनार्थी आसानी से इन को पकड़कर नीचे जा कर पूजा पाठ कर सकेंगे।
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