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वाराणसी

ज्ञानवापी मन्दिर को लेकर काशी धर्म परिषद की बैठक

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संतों ने कहा स्वयंभू ज्योतिर्लिंग के पूजा और दर्शन की तत्काल अनुमति मिले
• पूजा करना हिन्दुओं का मौलिक अधिकार।
• काशी में लागू हो पवित्रता का सिद्धांत।
• ज्ञानवापी मन्दिर के ऊपरी तल पर नमाज बन्द हो।
• हिन्दू अपने पूजा का अधिकार अपने पवित्र काशी के पवित्रतम ज्योतिर्लिंग की मांग रहा है।
• ज्ञानवापी मन्दिर की परिधि निर्धारित हो, ताकि हिन्दुओं के पवित्र धर्मस्थलों की पवित्रता बनी रहे।
• 1991 का कानून खत्म कर हिन्दुओ के धार्मिक अधिकार को संरक्षित किया जाए।

रिपोर्ट – मनोकामना सिंह
वाराणसी। ज्ञानवापी मन्दिर को लेकर काशी धर्म परिषद ने लमही के सुभाष भवन में संतों, महंतों, इतिहासकारों एवं सामाजिक कार्यकर्त्ताओं की बैठक आयोजित की। काशी के संतों के समक्ष काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ० मृदुला जायसवाल ने पावर पॉइंट के माध्यम से काशी पर हुए मुस्लिम आक्रमण को प्रदर्शित किया। साक्ष्यों के माध्यम से यह बताया कि औरंगजेब ने 1669 ई० में आदि विश्वेश्वर के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था। इसका स्पष्ट साक्ष्य साकी मुस्तईद खान की पुस्तक मासिर–ए–आलमगीरी में मौजूद है। अंग्रेज यात्री राल्फ फिच एवं पीटर मंडी ने आदि विश्वेश्वर के पूजा का उल्लेख किया है। फ्रांसीसी यात्री बर्नियर एवं टैवर्नियर ने 1665 ई० में आदि विश्वेश्वर की पूजा का वर्णन किया है। सभी प्रस्तुत साक्ष्यों से काशी के संत संतुष्ट हुए और ज्योतिर्लिंग के वहां होने की घोषणा की।
अधिवक्ता आत्म प्रकाश सिंह ने 1991 के एक्ट के साथ हिन्दुओं के पूजा करने के मौलिक अधिकार के सभी कानूनी साक्ष्य प्रस्तुत किये। काशी के संतों ने कानूनी तौर पर पूजा के अधिकार को मांगने का फैसला किया।
सखी श्याम प्रिया ने कहा कि कोर्ट और सरकार की सहायता से हम मंदिर लेंगे और हम कानून के रास्ते जाकर महादेव का जलाभिषेक करेंगे। सनातन धर्म मानता है कि अगर संतों ने मान लिया है कि मंदिर का निर्माण करना है तो यह संसार के लिये लाभदायक होता है।
भदैनी के प्राचीन शिव मंदिर के महंत श्रवण दास जी महाराज ने कहा कि हिन्दुओं को कानून भी दबा रहा है। यह हमारी कमजोरी है। इसलिये हमें संगठित होने की आवश्यकता है और हमें जन आन्दोलन करना होगा, जन आन्दोलन के माध्यम से दबाव बनेगा।
लोटा टिलामठ ईश्वरगंगी के महंत उमेश दास जी महाराज ने कहा कि 4000 वर्षों का इतिहास कोई झुठला नहीं सकता है। काशी के तो कण–कण में शंकर हैं। आन्दोलन कर आर–पार की लड़ाई करके मंदिर वापस लेंगे।
बैठक की अध्यक्षता कर रहे पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर एवं काशी धर्म परिषद के अध्यक्ष महंत बालक दास जी महाराज ने कहा कि हिन्दू सनातन धर्म पर बहुत जुल्म ढहाये गये और बरबरता पूर्वक मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाया गया। इतना बड़ा अपमान किया कि शिवलिंग के पास वजू करते रहे। अपने इष्टदेव का अपमान हम नहीं सह सकते। किसी भी स्तर पर जाने के लिये संत समाज को तैयार रहना पड़ेगा। आज भी हम न्याय की मांग कर रहे हैं। मस्जिद के इमाम पर एफ०आई०आर० दर्ज की जाये कि उसके रहते शिवलिंग में छेद कैसे हो गया। ज्ञानवापी मंदिर परिसर में तत्काल नमाज को बंद किया जाये, नहीं तो हमें भी पूजा का अधिकार दिया जाये। हिन्दू जनमानस अब जाग चुका है। हम किसी का अपमान नहीं करते हैं लेकिन हमारे देवी देवताओं का अपमान करोगे तो छोड़ेंगे नहीं। संत समाज की सरलता ही उनकी पहचान है। जब अत्याचार होता है तो हम शांतिपूर्वक उसका रास्ता भी खोज लेते हैं।
विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष, रामपंथ के पंथाचार्य एवं इतिहासकार डा० राजीव श्रीगुरूजी ने कहा कि दुनियां के सभी धर्म स्थलों की तरह काशी में भी पवित्रता का सिद्धांत लागू होना चाहिये। आदि विश्वेश्वर नाथ की परिधि तय हो, जहां उनके भक्तों को ही प्रवेश मिले। दलित समुदाय के लोग ज्योतिर्लिंग के साक्षी नन्दी महाराज पूजा अर्चना करने विश्वनाथ मंदिर जायेंगे। इतिहास के साक्ष्यों के आधार पर हिन्दुओं के पवित्रतम स्थान को मुस्लिम समाज को वापस कर देना चाहिये, ताकि सौहार्द्र और भाईचारा बना रहे। औरंगजेब की अदालत में तो न्याय नहीं मिल पाया, लेकिन अब न्याय की उम्मीद है।
काशी धर्म परिषद की बैठक में प्रमुख रूप से महंत विजयराम दास, महंत अवध बिहारी दास, महंत राजाराम दास, महंत सत्यस्वरूप शास्त्री, महंत महावीर दास, महंत अरिहन्त दास, महंत मोहन दास, महंत लकी पाठक, महंत अनुराग दास, महंत उमेश दास, महंत नारायण दास, महंत सत्यनारायण दास, महंत ईश्वर दास, महंत सियाराम दास, महंत श्रवण दास, श्यामप्रिया सखी मौजूद रहीं।

बैठक में निम्न प्रस्ताव पारित किये गये–

  1. वर्ष 1033 ई० से 1707 ई० तक मुस्लिम हमलावरों एवं लुटेरों द्वारा तोड़े गये काशी के मंदिरों के इतिहास के सच की तलाश की जायेगी।
  2. आक्रान्ताओं द्वारा सनातन धर्म को पहुंचायी गयी क्षति का पुनर्मुल्यांकन एवं सच जानने हेतु इतिहासकारों की टीम बनायी जायेगी, जो इतिहास के साक्ष्य उपलब्ध करायेंगे।
  3. आदि विश्वेश्वर नाथ के पवित्र ज्योतिर्लिंग को 1669 ई० में मुगल बारशाह औरंगजेब द्वारा क्षति ग्रस्त कर दिया और उस पर मस्जिद बना दी गयी। इसका प्रमाण औरंगजेब के फरमान हैं एवं वर्ष 1710 ई० में लिखी गयी ‘मासिर–ए–आलमगीरी’ पुस्तक है, जो दरबारी इतिहासकार साकी मुस्तइद खाँ द्वारा लिखित है। औरंगजेब के द्वारा किये गये कृत्य की प्रशंसा और समर्थन मुसलमान न करें और शांति, भाईचारा स्थापित करते हुये सनातन धर्म के सबसे पवित्र स्थान पर अपना दावा छोड़े।
  4. ज्ञानवापी मंदिर में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग की पूजा, अर्चना, दर्शन का अधिकार हिन्दुओं को है। यह उनका मौलिक अधिकार है। इससे वंचित न किया जाये। तत्काल पूजा, दर्शन करने का अधिकार हिन्दुओं से दिया जाये।
  5. औरंगजेब के द्वारा किये गये पाप और कलंक का प्रयोग हिन्दुओं को अपमानित करने हेतु बार-बार न किया जाये।
  6. ज्ञानवापी मंदिर की वजह से काशी की पवित्रता है। काशी में ही वही पवित्रता का सिद्धान्त लागू किया जाये जो दुनियां में अन्य धर्मों के लिये है।
  7. मुसलमानों का सबसे पवित्र स्थल मक्का है, जहां पवित्र काबा स्थित है। वहां 25 किमी० की परिधि में कोई गैर मुस्लिम प्रवेश नहीं कर सकता और न ही दूसरे धर्म का कोई धर्म स्थल नहीं है। वेटिकन सिटी ईसाइयों का पवित्र स्थल है, वहां भी दूसरे धर्म का कोई प्रतीक नहीं है। काशी दुनियां के सनातन धर्मियों का पवित्र स्थल है, लेकिन पवित्रतम मंदिर आदि विश्वेश्वर नाथ के ज्योतिर्लिंग को अपमानित कर 350 वर्षों तक कब्जे में रखा गया ताकि सनातन धर्म के लोग औरंगजेब की क्रूरता को याद रखें और इस्लाम से डरते रहें। काशी में पवित्रता का सिद्धान्त लागू किया जाय। सबसे बातचीत कर आदि विश्वेश्वर नाथ की परिधि तय की जाये, जिसमें गैर हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित हो।
  8. आदि विश्वेश्वर नाथ के पवित्रतम ज्योतिर्लिंग से छेड़छाड़ करने वालों पर तत्काल मुकदमा दर्ज हो और उन्हें गिरफ्तार किया जाये।
  9. 1991 ई० का कानून रद्द किया जाये। इससे हिन्दुओं के मूल अधिरारों का हनन होता है। भारतीय संस्कृति धर्म और इतिहास के सच को जानने और कानून तक पहुंचने का रास्ता बन्द हो जाता है।
  10. ज्ञानवापी मंदिर के उपरी तल पर नमाज पढ़ने पर रोक लगायी जाये।
  11. ज्ञानवापी मंदिर के निचले हिस्से को हिन्दुओं के पूजा, पाठ, दर्शन के लिये तत्काल खोला जाये।
  12. शांति, सौहार्द, भाईचारे की जिम्मेदारी मुसलमान भी उठायें, धर्म के नाम पर झूठ का प्रसार बन्द करें। इतिहास में साक्ष्यों के आधार पर सच को स्वीकार करें।
  13. भारतीय मुसलमानों को भी ज्ञानवापी मंदिर के साथ बिन्दुमाधव मंदिर की सच्चाई बताई जायेगी।
  14. 350 वर्षों से आदि विश्वेश्वर नाथ की प्रतीक्षा कर रहे महादेव के ज्ञानवापी मंदिर में होने के साक्षी ‘नन्दी जी महाराज’ की विशेष पूजा एवं दर्शन का प्रावधान किया जाये।
  15. दलित समाज, वनवासी समाज के लोग ‘साक्षी नन्दी महाराज’ का दर्शन करेंगे एवं साधू संत भी नन्दी महाराज की विशेष पूजा करेंगे।
  16. इस्लाम के जन्म स्थान मक्का एवं मदीना के मुख्य इमामों से पत्र लिखकर औरंगजेब के कुक्रत्यों, अधर्म और पाप से परिचित कराया जायेगा। यह बताया जायेगा कि किस तरह से इस्लाम के नाम पर औरंगजेब ने हिन्दुओं के पवित्र स्थान काशी के स्वयंभू ज्योतिर्लिंग समेत अन्य प्रसिद्ध पवित्र मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाया।
  17. काशी की पवित्रता का ध्यान रखते हुये पंचकोसी परिक्रमा के अधीन मांस मदिरा के बिक्री एवं सेवन पर सख्ती से प्रतिबन्ध लगाया जाये। मांस मदिरा मुक्त क्षेत्र घोषित किय जाये।
  18. हिन्दू धर्म में देवी देवताओं का अपमान बन्द हो। हिन्दू धर्म का अपमान करने वालों पर सख्त कार्यवायी हो।
  19. काशी धर्म परिषद अधिवक्ता श्री हरिशंकर जैन और श्री विष्णु जैन द्वारा सनातन धर्म की रक्षा हेतु किये जा रहे पवित्रतम कार्य हेतु नैतिक समर्थन देता है एवं आवश्यकता पड़ने पर उनकी कानूनी मदद भी लेगा।
  20. काशी धर्म परिषद उन करोड़ों आस्थावान हिन्दुओं का समर्थन करता है जो धर्म और संस्कृति के लिये चिन्तित हैं।
  21. किसी भी धर्म का अपमान करने वाले, दूसरे धर्म प्रतीकों, धर्म महापुरूषों के खिलाफ टिप्पणी करने वालों का काशी धर्म परिषद किसी भी प्रकार का समर्थन नहीं करेगी।
  22. भारतीय संसद ऐसे कानून को लाये जिससे भारत के पुराने गौरव को वापस लाया जा सके। तोड़े गये मंदिरों, ऐतिहासिक स्थलों की सूची बनाकर कमीशन गठित हो। सभी पवित्र स्थानों, प्रतीक स्थलों को मुक्त कराकर उसका वास्तविक इतिहास दुनियां के सामने लाया जाये।

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