अपराध
कृषि विभाग में करोड़ों का घोटाला
सुनियोजित तरीके से हड़पी गयी बृहद निर्माण कार्य की धनराशि
रिपोर्ट – मनोकामना सिंह
वाराणसी । कोरोना काल के चलते अपरिहार्य परिस्थितियों में खर्च करने के लिए 14 सितंबर 2021 को शासन से मिले 80 लाख रुपये को हड़पे जाने की योजना को सुनियोजित ढंग से अंजाम देने की बात प्रकाश में आयी है । जिसके तहत योजना की रकम बंदरबांट कर शीर्ष अधिकारियों तक पहुंचाई गई है । यही नही इस योजना के रुपयों को हड़पने में पदनाम का भी दुरुपयोग किया गया है । घटना के उजागर होने के बाद कर्मचारियों में खलबली मच गई है । देखना है कि जांच बैठने के बाद किन किन अधिकारियों पर कार्यवाही की तलवार लटकती है या फिर इस मामले की जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है ।
बताते चले कि दो दिनों पूर्व जयदेश न्यूज़ ने कृषि विभाग में हुए आईपीएम लैब बनाने के नाम पर कोषाधिकारी कार्यालय को मिलाकर 80 लाख का भुगतान कार्यदायी संस्था के खाते में भेजे जाने समेत अन्य मदों में कुल मिलाकर करोड़ो के घोटाले की खबर छापी थी । आज हम बता रहे आपको किस तरह से हड़पी गयी योजना समेत करोड़ों की धनराशि । विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि योजना की राशि का भुगतान मंडल स्तर पर उपनिदेशक ( कृषि रक्षा ) के कोड से स्वीकृत होकर कोषागार को जाता है, जहां से कायदायी संस्था के खाते में भेज दिया जाता है । उपनिदेशक कृषि रक्षा ही कार्यालयाध्यक्ष होता है । बावजूद इसके यहां सहायक कृषि निदेशक को दूसरे जनपद से बुलवाकर उसी पद नाम पर उन्हें वित्तीय राशि स्वीकृत करने का पावर ऊपर के शीर्ष अधिकारी द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से दे दिया गया । जिसके द्वारा गलत ढंग से करोड़ों की धनराशि कागजों में ही कोरम पूरा कर स्वीकृत कर दी गयी । जबकि जिस 80 लाख रुपये का भुगतान आईपीएम लैब के पुनरुद्धार हेतु कार्यदायी संस्था को स्वीकृत कर खाते में भेज दी गयी उस लैब का पुनरुद्धार तो दूर कहिए उसकी बिल्डिंग में रंग रोगन तक नही किया गया है और चारदीवारी चारो तरफ से टूटी फूटी हालत में है । इसके साथ ही अन्य मदों में भी लाखों रुपयों के भुगतान का मामला सामने आया है ।