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गोरखपुर

आठ दिवसीय एक्सप्लेनेबल एआई फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का समापन

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गोरखपुर। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी), गोरखपुर के कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग द्वारा आयोजित आठ दिवसीय हाइब्रिड फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम “एक्सप्लेनेबल एआई में प्रक्रिया-केन्द्रित एवं पुरस्कार-आधारित व्याख्येय मॉडल” का समापन गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ।

समापन सत्र माननीय कुलपति प्रो. जे. पी. सैनी के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. राकेश कुमार, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग, एमएमएमयूटी, गोरखपुर ने की। इस अवसर पर अतिथि सम्मान के रूप में प्रो. वी. के. गिरी, डीन, फैकल्टी अफेयर्स, एमएमएमयूटी, गोरखपुर की गरिमामयी उपस्थिति रही।

अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. राकेश कुमार ने कहा कि यह एफडीपी प्रतिभागियों को नवीनतम एआई तकनीकों, शोध-आधारित दृष्टिकोण और व्यावहारिक अनुप्रयोगों से जोड़ने में सफल रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम शिक्षा और उद्योग के बीच की दूरी को कम करने के साथ-साथ संकाय सदस्यों एवं शोधार्थियों को भविष्य की तकनीकी चुनौतियों के लिए तैयार करते हैं।

प्रो. वी. के. गिरी ने कहा कि आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस केवल अनुसंधान या उद्योग तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख गेमिंग प्लेटफॉर्म्स से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, वित्त, शासन और स्मार्ट सिस्टम्स जैसे लगभग प्रत्येक क्षेत्र में तेजी से अपनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में एआई आधारित प्रणालियों का व्याख्येय एआई होना अत्यंत आवश्यक है, ताकि उनके निर्णयों की पारदर्शिता, विश्वसनीयता और वैधता सुनिश्चित की जा सके। एक्सप्लेनेबल एआई के माध्यम से एआई तकनीक को समाज में जिम्मेदार और नैतिक रूप से स्वीकार्य बनाया जा सकता है।

समापन सत्र के दौरान प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और कार्यक्रम की अकादमिक गुणवत्ता, विशेषज्ञ व्याख्यानों तथा संवादात्मक सत्रों की सराहना की। इसके पश्चात प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए, जिससे उनका उत्साह और भी बढ़ा।

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कार्यक्रम के संयोजक डॉ. सत्य प्रकाश यादव एवं डॉ. सुमित कुमार तथा सह-संयोजक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह एवं डॉ. पवन कुमार मल्ल ने कार्यक्रम की संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए सभी आमंत्रित विशेषज्ञों, प्रतिभागियों एवं आयोजन से जुड़े सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम का समापन इस विश्वास के साथ किया गया कि इस एफडीपी के माध्यम से अर्जित ज्ञान एवं कौशल भविष्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, प्रभावी अनुसंधान तथा उद्योग–शिक्षा सहयोग को और अधिक सशक्त बनाएंगे।

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