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गोरखपुर

चार वर्ष से क्षेत्र में रहने वाले सांड की पीट-पीटकर हत्या

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कानून और मानवता दोनों पर सवाल

गोरखपुर। जनपद के खजनी क्षेत्र अंतर्गत महिलवार गांव में रविवार को घटित एक अमानवीय और कानून विरोधी घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। बीते चार वर्षों से गांव के एक स्थान पर मठ बना कर शांतिपूर्वक रह रहा सांड, स्थानीय लोगों की हिंसा का शिकार बन गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार रविवार सुबह लगभग दस बजे सांड द्वारा अनजाने में एक व्यक्ति को हल्का सा ढकेल दिया गया, जिससे कोई गंभीर चोट या जनहानि नहीं हुई। इसके बावजूद गांव के कुछ लोगों ने आपा खो दिया।

बताया जा रहा है कि दर्जनों की संख्या में नवयुवक और बच्चे सांड को दौड़ा कर लाठी-डंडों, ईंट-पत्थरों और भाले से हमला करने लगे। सांड को बुरी तरह लहूलुहान कर दिया गया, तड़पता छोड़ दिया गया और करीब 24 घंटे के भीतर उसकी मौत हो गई। हैरानी की बात यह रही कि इस पूरी घटना की सूचना न तो पशुपालन विभाग को दी गई और न ही पुलिस या प्रशासन को।

यह घटना केवल पशु क्रूरता नहीं, बल्कि भारतीय कानून के तहत गंभीर अपराध है। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के अनुसार किसी भी पशु को इस तरह पीड़ा पहुंचाना दंडनीय अपराध है। एक छोटी सी चूक का जवाब मौत से देना न केवल अमानवीय है, बल्कि समाज के नैतिक पतन को भी दर्शाता है। अब सवाल यह है कि दोषियों पर कार्रवाई होगी या यह जघन्य पाप भी अनदेखा कर दिया जाएगा।

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