वाराणसी
साइबर ठगी केस में बैंक अधिकारी गिरफ्तार, सीबीआई ने वाराणसी से दबोचा
वाराणसी। साइबर अपराधियों को म्यूल बैंक खाते खुलवाने और ठगी के पैसों के लेन–देन में मदद करने के आरोप में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने केनरा बैंक की चितईपुर शाखा की सहायक प्रबंधक शालिनी सिन्हा को गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई ने उन्हें विशेष न्यायाधीश चतुर्थ (भ्रष्टाचार निवारण) रवीन्द्र कुमार श्रीवास्तव की अदालत में पेश किया, जहां से तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली ले जाने की अनुमति दी गई। अदालत ने आदेश दिया कि 26 दिसंबर को दोपहर 12 बजे तक संबंधित क्षेत्राधिकार न्यायालय के समक्ष अभियुक्ता को पेश किया जाए और इस दौरान शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न न किया जाए। अदालत में अभियोजन की ओर से श्याम सरोज दुबे ने सीबीआई का पक्ष रखा।
सीबीआई ने इस प्रकरण में बीते अप्रैल माह में दिल्ली में मुकदमा दर्ज किया था। जांच में सामने आया कि विभिन्न बैंकों के कर्मचारी साइबर अपराधियों को म्यूल बैंक खाते खुलवाने में मदद कर रहे थे और साइबर ठगी से अर्जित रकम को अन्य खातों में स्थानांतरित किया जा रहा था। जांच के दौरान यह भी पाया गया कि साइबर ठग अलग–अलग तरीकों से लोगों से ठगी करते हैं और इसके लिए उन्हें म्यूल बैंक खातों की आवश्यकता होती है।
जांच में खुलासा हुआ कि देशभर में 743 सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के बैंकों में खाते खोले गए और प्रत्येक बैंक में औसतन लगभग 300 म्यूल खाते खुले। इस तरह पूरे भारत में करीब 8.7 लाख म्यूल बैंक खाते अस्तित्व में आए। इन खातों के खोलने और उनमें हुए लेन–देन में नियमों की व्यापक अनदेखी की गई। भारतीय रिजर्व बैंक के निगरानी संबंधी निर्देशों का भी पालन नहीं किया गया। कई खातों में कुछ ही दिनों में बड़ी रकम का आना–जाना हुआ, बावजूद इसके उन्हें संदिग्ध खातों की सूची में शामिल नहीं किया गया।
फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खाते खोले गए और जिन नाम–पते का उपयोग हुआ, उनके साथ बैंक स्तर से कोई पत्राचार या सत्यापन नहीं किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि खातों के खुलवाने में कई मध्यस्थ सक्रिय थे, जिन्होंने बैंक कर्मचारियों व अधिकारियों को राजी किया। प्रथमदृष्टया ठगी में साइबर अपराधियों के साथ बैंक कर्मियों और अधिकारियों की भूमिका भी पाई गई।
जांच के दौरान 16 ऐसे नाम सामने आए जिनके बैंक खातों में साइबर ठगी की रकम आई। ये दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान के निवासी हैं। इसके अलावा साइबर ठगों को म्यूल खाते उपलब्ध कराने वाले 18 बैंक कर्मचारियों व ई–मित्र आदि के नाम भी उजागर हुए, जो राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से जुड़े हैं। इनमें यूको बैंक का एक कर्मचारी भी शामिल है।
सीबीआई के अनुसार जांच में यह भी जानकारी मिली कि निरंजन गुप्ता गेमिंग एप, बेटिंग एप और साइबर ठगी के लिए म्यूल बैंक खाते खुलवाता था। उसके मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच में सामने आया कि शालिनी सिन्हा उससे लगातार संपर्क में थीं। चितईपुर शाखा में तैनाती से पहले वह पटना की एसके नगर शाखा में सहायक प्रबंधक के पद पर कार्यरत थीं। वहां उनके संस्तुति पर छह म्यूल बैंक खाते खोले गए, जिनका उपयोग साइबर ठगी की रकम मंगाने में किया गया। प्रत्येक खाते में साइबर ठगी से प्राप्त एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि पहुंची थी। व्हाट्सएप चैट से यह भी सामने आया कि शालिनी सिन्हा को निरंजन गुप्ता से जुड़े साइबर ठगों के लिए फर्जी तरीके से बैंक खाते खुलवाए जाने की जानकारी थी।
क्या होता है म्यूल बैंक खाता?
म्यूल बैंक खाता वह खाता होता है, जिसका उपयोग अपराधी अवैध धन के लेन–देन के लिए करते हैं। ऐसे खाते अक्सर अनजान व्यक्तियों को आसान कमाई का लालच देकर या फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खुलवाए जाते हैं और साइबर ठगी से अर्जित रकम के लेन–देन में इस्तेमाल होते हैं।
