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वाराणसी

गंगा की लहरों पर बिछेगा वॉटर डिवाइडर

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वीवीआईपी मूवमेंट और हादसों की रोकथाम को लेकर जल पुलिस का नया ट्रैफिक फॉर्मूला

वाराणसी। गंगा में बढ़ते जल यातायात और पर्यटकों की भारी भीड़ को देखते हुए जल पुलिस ने नया ट्रैफिक प्लान तैयार किया है। इस योजना के तहत गंगा के तीन किलोमीटर लंबे जल क्षेत्र में फ्लोटिंग जेटी के माध्यम से ‘वाटर डिवाइडर’ बिछाया जाएगा, जिससे नावों के आने-जाने के रास्ते अलग-अलग हो सकें। नई व्यवस्था लागू होने के बाद नावों के आपसी टकराव की घटनाओं पर प्रभावी रोक लगेगी।

डिवाइडर के रूप में इस्तेमाल होने वाली फ्लोटिंग जेटी पानी से भरी होंगी। किसी स्थिति में यदि नाव इससे टकराती भी है, तो हादसे की आशंका कम रहेगी। जेटी के नीचे लगाया गया मजबूत जाल भी सुरक्षा में सहायक होगा। यह पूरी व्यवस्था गंगा के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित नहीं करेगी, बल्कि उसे नियंत्रित और संतुलित बनाए रखेगी।

काशी में देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या करोड़ों तक पहुंच चुकी है। गंगा में इस समय रजिस्टर्ड क्रूज, बजड़ा, हाथ नाव और मोटर बोट की कुल संख्या 2095 है, जिसमें आगे और वृद्धि की संभावना है। इसी को ध्यान में रखते हुए आठ किलोमीटर क्षेत्र में फैले 84 घाटों की सुरक्षा के लिए जल पुलिस ने विशेष योजना बनाई है। घाटों पर पहले से 60 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चलने वाली स्पीड बोट तैनात हैं। साथ ही जल पुलिस बल की संख्या 32 से बढ़ाकर 100 किए जाने की तैयारी है।

डिवाइडर लेन ऐसे बनेगी
तीन किलोमीटर क्षेत्र में पहले मजबूत जाल बिछाया जाएगा। इसके ऊपर फ्लोटिंग जेटी लगाकर दो लेन तैयार की जाएंगी। पानी भरने के बाद एक जेटी का औसत वजन लगभग साढ़े तीन सौ किलो होगा। यदि डिवाइडर लेन के पास कोई दुर्घटना होती है, तो जेटी के नीचे लगा जाल जान बचाने में मददगार बनेगा।

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घाटों पर भी होगी अतिरिक्त व्यवस्था
गंगा में स्नान के दौरान हर वर्ष बड़ी संख्या में लोगों की डूबने से मौत होती है। इसे रोकने के लिए खतरे के निशान से पहले मजबूत जाल बिछाकर फ्लोटिंग जेटी लगाई जाएगी। इन जेटियों पर चमकने वाले उपकरण लगाए जाएंगे, ताकि अंधेरे में भी खतरे की सीमा स्पष्ट दिखाई दे सके।

वीवीआईपी सुरक्षा में भी सहायक
काशी में आने वाले पर्यटकों में वीआईपी और वीवीआईपी की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। गंगा मार्ग से इनके आवागमन के दौरान अन्य नावों के आ जाने से सुरक्षा में दिक्कतें आती हैं। ट्रैफिक व्यवस्था लागू होने के बाद ऐसी परेशानियां नहीं रहेंगी और सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत होगी।

प्रशासन बढ़ा रहा है अपनी नावों की संख्या
प्रशासन के पास पहले से स्पीड बोट और मोटर बोट मौजूद हैं। इसके अलावा अब पोंटून नाव मंगाने की तैयारी है। केरल की एक कंपनी द्वारा आपूर्ति की गई पोंटून नावों में कुछ कमियां पाए जाने पर उन्हें वापस कर दिया गया था। जल्द ही नई पोंटून नावें गंगा में संचालित होती नजर आएंगी।

वाटर डिवाइडर की सुरक्षा विशेषताएं
वाटर डिवाइडर प्लास्टिक से निर्मित होते हैं और इनमें पानी भरा रहता है, जिससे टक्कर की स्थिति में जोखिम कम हो जाता है। यह कंक्रीट की तरह कठोर नहीं होते, वाहन की गति कम करने में मदद करते हैं और लचीले होने के कारण झटका नहीं लगता।

गंगा में इस समय 15 क्रूज, 205 बजड़ा (डबल डेकर), 195 हाथ नाव और 1675 मोटर बोट संचालित हैं। कुल नावों की संख्या 2095 है, जिसमें आगे बढ़ोतरी संभव है।

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पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने कहा कि गंगा में ट्रैफिक प्लान समय की जरूरत है। दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती के बाद नमो घाट पर होने वाली आरती में भारी भीड़ उमड़ती है। देश ही नहीं, दुनिया भर से लोग काशी पहुंचते हैं। नावों की संख्या बढ़ रही है, जिसे ट्रैफिक प्लान के जरिए ही सुव्यवस्थित किया जा सकता है। इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है और सरकार से की गई मांगें भी पूरी की जा रही हैं।

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