गोरखपुर
श्रीमद्भागवत कथा : नरक वर्णन और प्रह्लाद चरित्र से प्रतिध्वनित हुई भक्ति की अमृत धारा
गोरखपुर। सरस्वती भवन, जगन्नाथपुर, गोरखपुर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का तीसरा दिन आज भक्ति, ज्ञान और आध्यात्मिक संदेशों से सराबोर रहा। व्यास पीठ पर विराजमान पूज्य गोवत्स स्वामी डॉ. विनय जी महाराज ने आज के प्रवचन में 28 प्रकार के नरकों का विस्तृत वर्णन किया और बताया कि प्रत्येक मनुष्य के कर्म ही उसकी आगे की यात्रा निर्धारित करते हैं। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति पराई स्त्री को गलत दृष्टि से देखते हैं, उन्हें नरक में जहरीले सर्प दंश देते हैं।
प्रवचन के आगे महाराज श्री ने भक्त प्रह्लाद के जीवन चरित्र को विस्तार से सुनाया। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में ही प्रह्लाद नारद मुनि के आश्रम में पहुंच गए थे, जहां उन्हें भगवान के गुण, चरित्र और भक्ति का अमृत मिला। यही कारण रहा कि राक्षस कुल में जन्म लेने के बावजूद प्रह्लाद की भक्ति कभी डिगी नहीं। स्वामी जी ने राक्षस की परिभाषा समझाते हुए कहा कि जो ब्राह्मण और गाय को कष्ट देते हैं, भगवान उन्हें राक्षस कहते हैं। हिरण्यकश्यप भी इन्हीं कारणों से कठोर तपस्या के बाद भी राक्षस योनि में ही गया।
स्वामी जी ने कहा कि भक्त प्रह्लाद ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भक्ति का मार्ग नहीं छोड़ा और उसी अटूट श्रद्धा के कारण उन्हें इस पृथ्वी पर सुख और भगवान के धाम का आनंद दोनों प्राप्त हुए।
कथा के अंत में श्री भागवत भगवान की आरती की गई। आज के मुख्य यजमान लोकप्रिय पत्रकार श्री सुजीत पांडे अपने पूरे परिवार के साथ उपस्थित रहे। कथा के उपरांत प्रसाद वितरण किया गया।
कथा प्रतिदिन शाम 4:00 बजे से 7:00 बजे तक चलती है। स्वामी जी ने कहा कि जिसका अत्यंत शुभ भाग्य होता है, वही कथा में बैठकर इसका दिव्य फल प्राप्त करता है।
आज की कथा में मुख्य रूप से स्नेहा शर्मा, रुक्मणी पांडे एडवोकेट, उषा मिश्रा, पिंटू, शुभकरण शर्मा, राघवेंद्र श्रीवास्तव, प्रवीण पांडे आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे। परायण का पाठ पंडित जय प्रकाश मिश्रा जी द्वारा सम्पन्न किया गया।
