वाराणसी
बीएचयू अस्पताल: ऑनलाइन सुविधा लागू करने में जीएफआर की अनदेखी
प्रशासन से मांगी गई स्पष्टीकरण रिपोर्ट
वाराणसी। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में जांच और पंजीकरण सहित अन्य कार्यों के लिए ऑनलाइन सिस्टम (एचआईएमएस—हॉस्पिटल इंफार्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम) लागू करने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। डायरेक्टर जनरल ऑडिट (सेंट्रल) ने इस प्रक्रिया में सामान्य वित्तीय नियम (जीएफआर) के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन से विस्तृत जवाब मांगा है। ऑडिट आपत्तियों से संबंधित पत्र पिछले महीने 14 अक्टूबर को बीएचयू को भेजा गया था।
अस्पताल में एम्स जैसी सुविधाएं विकसित करने के लिए पूर्व में एमओयू किया जा चुका है। इसी क्रम में एचआईएमएस लागू करने का निर्णय लिया गया था। हालांकि, ऑडिट विभाग के अनुसार बीएचयू प्रशासन अब तक उठाई गई आपत्तियों का पूरा जवाब उपलब्ध नहीं करा सका है।
पत्र में 22 अक्टूबर 2024 के कार्यालय-नोट का भी उल्लेख है, जिसमें एचआईएमएस प्रक्रिया शुरू करने की बात कही गई थी। वहीं 7 दिसंबर 2024 को अस्पताल प्रशासन ने यह दावा किया था कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए निविदा प्रक्रिया आवश्यक नहीं है। लेकिन जीएफआर-194 और जीएफआर-133(3) के अनुसार ऐसे उपक्रमों के लिए भी निविदा जारी करना अनिवार्य है। इसी कारण ऑडिट विभाग ने इस पर आपत्ति दर्ज की है।
मुख्य सवाल, जिन पर देना होगा जवाब
(1) क्या एचआईएमएस लागू करने का कार्य सार्वजनिक क्षेत्र के किसी उपक्रम को दिया गया है? यदि नहीं, तो वर्तमान स्थिति क्या है?
(2) एचआईएमएस के लिए बजटीय प्रावधान का विवरण क्या है?
(3) सर सुंदरलाल अस्पताल में निविदा प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई गई, जबकि इसी वित्तीय वर्ष में ट्रॉमा सेंटर ने जेम पर निविदा निकालकर 2.5 करोड़ रुपये का अनुबंध किया?
(4) एक ही सेवा के लिए दो अलग प्रक्रियाएं क्यों अपनाई गईं?
आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो. एस.एन. संखवार ने कहा कि एचआईएमएस की प्रक्रिया में सभी नियमों का अनुपालन किया जा रहा है। मंत्रालय की ओर से इस कार्य के लिए 16 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्राप्त हुई है। ऑडिट आपत्तियों के बारे में उन्हें विस्तृत जानकारी नहीं है।
विश्वविद्यालय प्रशासन अब ऑडिट विभाग द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब तैयार कर रहा है। इस मामले पर अंतिम रिपोर्ट जल्द भेजे जाने की संभावना है।
