वाराणसी
असि का संगम स्थल बदलने से गंगा में बढ़ा सिल्ट संकट
वाराणसी। गंगा की स्वच्छता के नाम पर 80 के दशक से अब तक सरकारों ने अरबों रुपये खर्च कर डाले, लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। पिछले एक दशक में सुधार की उम्मीद जगी थी, पर नगर निगम द्वारा गंगा में सिल्ट बहाने से सरकार की मंशा को पलीता लग रहा है।
1983 से 1985 के बीच असि का संगम स्थल बदलकर रविदास घाट के पास कर दिया गया। यह निर्णय बिना नदी विज्ञान को समझे लिया गया, जिसके दुष्परिणाम अब स्पष्ट दिख रहे हैं। गंगा के घाटों पर सिल्ट जमने की समस्या बढ़ती जा रही है और उसका निस्तारण भी अवैज्ञानिक ढंग से गंगा में ही बहाकर किया जा रहा है।
गंगा विज्ञानी प्रो. बी.डी. त्रिपाठी के अनुसार, कोई भी छोटी नदी बड़ी नदी में समकोण पर नहीं मिलती। यह नदी की प्रकृति है कि वह न्यूनकोण पर संगम करती है जिससे उसका प्रवाह बड़ी नदी में विलीन होकर बहाव को तीव्र करता है। संगम कोण में मामूली परिवर्तन भी नदी की स्थिरता को प्रभावित करता है।
असि नदी पूर्व में असि घाट पर गंगा से मिलती थी। उस समय तेज प्रवाह के कारण सिल्ट और गाद गंगा की मध्य धारा की ओर बढ़कर बह जाते थे, घाटों पर जमाव नहीं होता था। परंतु संगम स्थल के परिवर्तन के बाद असि से आने वाली गाद, कीचड़ और कूड़ा-कचरा मुहाने पर ही जमा होने लगा, जिससे गंगा का प्रवाह अवरुद्ध हो गया। परिणामस्वरूप अब असि से दशाश्वमेध तक अधिकांश घाट बाढ़ के बाद सिल्ट से पट जाते हैं।
कहां से आती है सिल्ट
प्रो. त्रिपाठी बताते हैं कि हिमालय से आने वाली नदियों में गाद का आना स्वाभाविक है। बाढ़ के दौरान ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में भूमि के क्षरण से आई मिट्टी ही गाद कहलाती है। यह गाद खेतों के लिए उपजाऊ होती है, पर जब यह नदी में जम जाती है तो जल संचयन क्षमता घटा देती है, जिससे समस्या बढ़ती जाती है।
नगर निगम की उलटबांसी
चार दशक पहले हुए इस बदलाव के बाद नगर निगम लगातार गंगा में बाढ़ से आई सिल्ट बहा रहा है। एक ओर प्रशासन गंगा को बचाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर लोगों को जागरूक करता है, वहीं दूसरी ओर यही विभाग लाखों टन सिल्ट गंगा में डालकर उसकी पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचा रहा है।
गंगा की पारिस्थितिकी बदली तो बनारस की पहचान भी बदलेगी
बीएचयू के पूर्व प्रोफेसर और गंगाविद प्रो. यू.के. चौधरी का कहना है कि गंगा की पारिस्थितिकी बदलेगी तो बनारस की पहचान भी बदल जाएगी। असि का संगम बदलने के कारण अब असि घाट, हरिश्चंद्र घाट, मणिकर्णिका घाट, पंचगंगा घाट और रामघाट तक सिल्ट जमाव की समस्या बढ़ गई है।
