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वाराणसी

काशी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में बोलें विशेषज्ञ — “कृत्रिम बुद्धिमत्ता से बदलेगा कृषि का भविष्य”

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वाराणसी के मिर्जामुराद स्थित काशी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी परिसर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में तकनीकी जानकारों ने अपना अनुभव साझा किया। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एवं मशीन लर्निंग (ML) जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग करके कृषि सहित प्रत्येक क्षेत्र का कार्य सुविधाजनक और सटीकता से किया जा सकता है।

प्रोफेसर डॉ. त्रिलोकी पंत (भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, प्रयागराज) ने AI व ML के विस्तृत उपयोग के माध्यम से बताया कि कैसे फसलों को सूखा व खरपतवार से बचाकर उनकी उपज और पोषण गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है। डॉ. श्वेता अरोरा (आईईएसआर, नोएडा) ने अन्य आधुनिक तकनीकों जैसे जीनोम सिक्वेंसिंग का उपयोग फलों वाली फसलों की मैपिंग में होने वाली उपयोगिता पर प्रकाश डाला।

प्रत्येक आधुनिक तकनीक के पीछे अनदेखे कारणों का उल्लेख करते हुए डॉ. राजीव प्रताप सिंह, प्रोफेसर, बीएचयू ने प्लास्टिक के पहाड़ों की ओर इंगित करते हुए बताया कि आने वाले समय में ठोस कचरे का उचित प्रबंधन करके उसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके डेटा एनालिसिस के माध्यम से फसलों में लगने वाले कीटों और बीमारियों का सटीक पूर्वानुमान किया जा सकता है। इसके द्वारा मिट्टी में मौजूद तत्वों का विश्लेषण कर उसकी गुणवत्ता और उपज का पता भी आसानी से लगाया जा सकता है। ड्रोन का उपयोग करके फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव और निगरानी की जा सकती है।

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साथ ही, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से मिट्टी की स्थिति, फसलों की सटीक जानकारी और मौसम की परिस्थितियों को भी आसानी से समझा जा सकता है। इससे किसान सही समय पर खेत में पानी, खाद एवं कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस प्रक्रिया को आसान बनाता है, श्रम की आवश्यकता कम करता है, रखरखाव में सुविधा प्रदान करता है और समय की बचत भी होती है।

उपरोक्त तकनीकों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां एआईसीटीई द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन प्रबुद्ध वक्ताओं ने काशी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, वाराणसी में व्यक्त कीं। सम्मेलन में मुख्य अतिथि डॉ. पवन कुमार दुबे (प्रोफेसर, बीएचयू) के साथ संस्थान के निदेशक डॉ. ए.के. यादव, डीन डॉ. डी.एम. श्रीवास्तव और डॉ. आशुतोष कुमार मिश्रा उपस्थित रहे।

सम्मेलन के सफल संचालन में विभाग के शिक्षक एवं कॉन्फ्रेंस समन्वयक डॉ. संजय कुमार विश्वकर्मा, डॉ. शैलेंद्र सिंह शेरा, डॉ. शाहनवाज, इं. अहर्निश मौर्य, शोधार्थी नीरज कुमार प्रजापति एवं संस्थान के अन्य सदस्यों के साथ-साथ छात्र-छात्राओं का सहयोग भी सराहनीय रहा।

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