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गोरखपुर

यशोदा-नंद के प्रेम प्रसंग पर भावविभोर हुए श्रद्धालु

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श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन खुटभार में गूंजी भक्तिमय ध्वनियाँ

गोरखपुर। जनपद के खजनी क्षेत्र के ग्राम खुटभार में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के छठे दिन का आयोजन पूरी तरह भक्तिरस और संगीत से सराबोर रहा। कथा स्थल पर सवेरे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। पूरा वातावरण “जय श्रीकृष्ण”, “राधे-श्याम” और “हरि बोल” के पवित्र नामों से गूंज उठा।

कथा व्यास पंडित अरूणेश मिश्र जी ने आज के दिव्य प्रसंग में “यशोदा वनले बाड़ी कान्हा के ओखरिया में” का मधुर प्रसंग सुनाया। उन्होंने माता यशोदा के स्नेह, वात्सल्य और बालकृष्ण की नटखट लीलाओं का ऐसा भावपूर्ण चित्रण किया कि उपस्थित हर श्रोता की आँखें नम हो उठीं। पंडित जी की वाणी में जहाँ श्रद्धा थी, वहीं भक्ति की गहराई और रस की मधुरता ने वातावरण को अलौकिक बना दिया।

संगीतमय भक्ति का यह आयोजन तब और भी मनमोहक बन गया जब सुप्रसिद्ध गायक संगीत आचार्य सचिदानंद सरस ने अपने सुरों से कथा को जीवंत बना दिया। तबले पर दिलीप सिन्हा की लयकारी और पैड पर मंजेश पटेल की मधुर संगत ने भजनों को अद्भुत ऊँचाई दी। “कान्हा रे मोरी अँखियाँ पथराई गईं” और “मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो” जैसे भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे। कई भक्तों की आँखों से आँसू बह निकले — यह भक्ति की पराकाष्ठा का क्षण था।

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