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गाजीपुर

सिधौना की रामलीला 22 सितंबर से, डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु करेंगे शुभ उद्घोष

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67 वर्षों से निरंतर हो रहा मंचन, सिधौना की रामलीला देखने कई जिलों से आते हैं लोग

गाजीपुर। अपने भव्य मंचन और उत्कृष्ट अभिनय के लिए ख्यातिप्राप्त सिधौना की श्री आदर्श रामलीला समिति की गौरवशाली रामलीला का उद्घाटन शारदीय नवरात्र के प्रथम दिवस की शुभ बेला में दिनांक 22 सितम्बर को सिधौना गांव के गौरव, उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और हमारे संरक्षक, रामभक्त डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु के कर-कमलों से होगा। मंत्री अपने पैतृक गांव सभी कार्यक्रमों में अपने बहुमूल्य समय में से कुछ क्षण निकालकर अपने व्यवहार कुशल होने की अनुभूति करा देते हैं।

संस्कृति-पौराणिकता, आधुनिकता एवं रामरस का अद्भुत समावेश है सिधौना की रामलीला

सामाजिक ताने-बाने में रच-बस चुकी रामलीलाओं का मंचन शुरू होने लगा है। इसी क्रम में सिधौना में प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्र में आयोजित होने वाली परंपरागत रामलीला संस्कृति, पौराणिकता, आधुनिकता एवं रामरस को अपने में संजोए 67 वर्षों से परंपरागत ढंग से चली आ रही है। यह रामलीला अपने उत्कृष्ट कलाकार, भव्य मंचन, जीवंत अभिनय एवं आकर्षक साज-सज्जा के लिए जनपद में प्रसिद्ध है।

रामलीला के समस्त कलाकार स्थानीय ग्रामीण हैं जो अपना कार्य एवं व्यवसाय 1 महीने के लिए छोड़कर गांव की रामलीला में अपनी सहभागिता से रामलीला में सहयोग प्रदान करते हैं। सिधौना की लोकप्रिय रामलीला को देखने वाराणसी, जौनपुर, आज़मगढ़, गाज़ीपुर, बलिया, चंदौली एवं अन्य जगहों से दर्शक आते हैं।

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श्री आदर्श रामलीला समिति सिधौना के अध्यक्ष पंडित संतोष कुमार मिश्र जी बताते हैं कि रामलीला में संस्थापक रहे उनके पिता स्वर्गीय पंडित रामदयाल मिश्र जी द्वारा संवाद लेखन के लिए रामायण से जुड़े अनेक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया गया।

रामलीला के संवाद बाबा तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस, वाल्मीकि रामायण, कंब रामायण, राधेश्याम रामायण, दर्पण रामायण, कवितावली, गोविंद रामायण तथा रावण संहिता से लिए गए हैं एवं दर्शकों की सुविधा के लिए कठिन शब्दों को सरलीकृत कर लिखित रूप में जोड़ा गया है।

संवाद की विधा गद्य, पद्य, कविता, छंद, सोरठा, दोहा, चौपाई, सवैया एवं भाषा शैली हिंदी, अवधी, संस्कृत, मैथिली, भोजपुरी है। लीला प्रेमियों के अनुसार संपूर्ण संवाद 9 रसों में सरल शब्दों में किए जाते हैं।

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