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गाजीपुर

संतान के दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा जीवित्पुत्रिका का कठिन व्रत

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नंदगंज (गाजीपुर)। ग्रामीण अंचलों में महिलाओं ने जीवित्पुत्रिका का व्रत रविवार को श्रद्धा के साथ हर्षोल्लासपूर्वक मनाया गया। व्रती महिलाओं को चौबीस घंटे निर्जला व्रत रहने से यह पर्व सबसे कठिन व्रत माना जाता है। इसमें निर्जला रह कर महिलाएँ पुत्र के दीर्घायु होने की कामना को लेकर व्रत धारण कर रविवार की शाम को पूजन-अर्चन करते हुए गोठ में बैठकर श्रद्धापूर्वक कथा सुनी।

इस व्रत के संदर्भ में कहा जाता है कि महाभारत काल में गुरु द्रौणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने अर्जुन की पुत्रवधु उत्तरा के गर्भ को नष्ट करने हेतु ब्रह्मास्त्र चलाया था। तब उत्तरा ने श्रीकृष्ण और माता रुक्मिणी (लक्ष्मी) का ध्यान किया और गर्भस्थ शिशु की रक्षा के लिए प्रार्थना की। तब श्रीकृष्ण ने ब्रह्मास्त्र रोका और आदि शक्ति माँ लक्ष्मी ने उत्तरा के गर्भ को अंदर से सुरक्षा कवच से ढक दिया। लेकिन नहीं रुकने वाला ब्रह्मास्त्र के मान रखने हेतु ब्रह्मास्त्र ने उत्तरा का गर्भ नष्ट कर दिया, जिसे भगवान कृष्ण और माँ आद्यशक्ति लक्ष्मी ने पुनः जीवित किया। इसलिए इस घटनाक्रम को जीवित्पुत्रिका कहा जाता है।

कहते हैं कि पांडवों और उत्तरा ने भगवान कृष्ण और आद्यशक्ति लक्ष्मी की श्रद्धापूर्वक स्तुति की। उनके प्रसन्न होने पर उत्तरा ने माँ लक्ष्मी तथा जगत का पालन करने वाले श्रीकृष्ण से प्रार्थना की कि इस दिन जो पुत्रवती स्त्री आपका व्रत तथा तीन दिनों का अनुष्ठान करें, उनके पुत्र को भी मेरे पुत्र की तरह आप संरक्षण प्रदान करें। तभी से इस दिन पुत्रवती महिलाएँ श्रद्धा और भक्ति से माँ जीवित्पुत्रिका का व्रत करती हैं।

नंदगंज के संकटमोचन मंदिर, मां माहेश्वरी देवी मंदिर के साथ-साथ बरहपुर गांगी तट स्थित देवी मां के मंदिर पर व्रती महिलाएँ गोठ में बैठकर पूजन-अर्चन के साथ कथा सुनी। सोमवार की सुबह व्रती महिलाएँ जाई घोंटकर अपने व्रत का समापन करेंगी।

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