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वाराणसी

मानसिक अस्पताल में मरीजों को भर्ती कराकर भूल गए परिजन

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वाराणसी। मानसिक अस्पताल वाराणसी में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां कई मरीजों को भर्ती कराने के बाद उनके परिजन उन्हें भूल गए। कुछ मामलों में तो परिजनों ने अपना नाम और पता तक गलत दर्ज करा दिया, जिससे अस्पताल प्रशासन को मरीजों को घर पहुंचाने में बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ा।

अस्पताल निदेशक डॉ. चंद्र प्रकाश मल्ल के प्रयासों से बीते एक साल में 12 मरीजों को ठीक होने के बाद उनके घर भेजा गया। इनमें से कई मरीजों के परिजन इलाज के दौरान एक बार भी हालचाल लेने नहीं आए। 288 मरीज फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं और कई को महीनों से उनके परिजनों ने नहीं देखा।

गोरखपुर निवासी विकास (बदला हुआ नाम) को दो साल पहले भर्ती कराया गया था, लेकिन उनका पता और मोबाइल नंबर फर्जी निकले। लंबे प्रयासों के बाद विकास से जानकारी लेकर उन्हें घर भेजा गया। इसी तरह, बिहार के गोपालगंज की सुनीता देवी (बदला हुआ नाम) को गुस्से की समस्या के चलते भर्ती किया गया था, पर ठीक होने के बाद भी कोई लेने नहीं आया। अंततः अस्पताल प्रशासन ने उन्हें सुरक्षित घर पहुंचाया।

डॉ. मल्ल का कहना है कि मानसिक रोगियों के साथ भेदभाव न केवल गलत है बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी है। बीमारी से उबरने के बाद अगर उन्हें यह अहसास हो कि उनके परिजन उन्हें छोड़ गए हैं, तो समस्या दोबारा गंभीर हो सकती है।

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