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वाराणसी

पहलगाम हमले के बाद डेटा डिलीट कर रहा था तुफैल, एटीएस कर रही रिकवरी

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वाराणसी। जनपद के नवापुरा, हनुमान फाटक निवासी मोहम्मद तुफैल की गिरफ्तारी के बाद एटीएस की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। पाकिस्तान के लिए जासूसी और संवेदनशील सूचनाएं भेजने के आरोप में पकड़ा गया तुफैल इस समय लखनऊ की जेल में बंद है। अब यूपी एटीएस तुफैल के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े पांच संदिग्धों से पूछताछ की तैयारी में है।

बताया जा रहा है कि ये सभी संदिग्ध वाराणसी के जैतपुरा और आदमपुर थाना क्षेत्रों के निवासी हैं और तुफैल द्वारा बनाए गए 19 व्हाट्सएप ग्रुपों में सक्रिय थे। एटीएस की जांच में यह भी सामने आया है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद तुफैल ने अपने मोबाइल से कई चैट्स और डेटा डिलीट कर दिए थे, जिन्हें अब रिकवर करने की प्रक्रिया जारी है।

तुफैल, जो कि एक मदरसे में अध्यापक था, लगभग 14 साल पहले खुद पढ़ाई छोड़ चुका था। उर्दू भाषा में दक्ष और अंग्रेजी में सामान्य जानकारी रखने वाला तुफैल करीब सात साल पहले कन्नौज और पंजाब के सरहिंद की यात्रा के दौरान पाकिस्तान से जुड़े व्यक्तियों के संपर्क में आया था। वह तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के नेता मौलाना साद रिजवी के कट्टर भाषणों से प्रभावित होकर उसी अंदाज में तकरीरें देने लगा था।

एटीएस के अनुसार, तुफैल पाकिस्तान के फैसलाबाद निवासी एक महिला नफीसा के हनी ट्रैप का भी शिकार हुआ। खुद को पाकिस्तानी सैनिक की पत्नी बताने वाली नफीसा ने तुफैल से धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों की तस्वीरें व जानकारी मंगवाई। तुफैल ने उसे उपहार भी भेजे, जिसकी खरीद और भेजने के तरीकों की जांच भी की जा रही है।

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मंगलवार तक एटीएस को तुफैल की कस्टडी रिमांड मिलने की उम्मीद है, जिसके बाद उसे उन स्थानों पर ले जाया जाएगा जहां वह पाकिस्तान से जुड़े लोगों से मिला था। परिवार की ओर से तुफैल के ममेरे भाई सकलैन ने कहा कि उन्हें इस पूरे मामले की जानकारी नहीं थी। उन्होंने एटीएस को सहयोग का भरोसा देते हुए कहा कि यदि तुफैल दोषी है, तो उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए, क्योंकि देशविरोधी के लिए उनके घर में कोई जगह नहीं है।

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