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गाजीपुर

जमानियां में पंचायत भवन बना भ्रष्टाचार का अड्डा, फर्जी नियुक्ति सवालों के घेरे में

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बीडीओ और एडीओ पंचायत की चुप्पी से सवालों के घेरे में अफसरशाही

जमानियां (गाजीपुर)। जिले के विकासखंड जमानियां में पंचायत भवनों के नाम पर चल रहा भ्रष्टाचार एक बार फिर सुर्खियों में है। लाखों रुपये की लागत से बने या मरम्मत किए गए पंचायत भवनों में न तो समुचित सामग्री उपलब्ध है, न ही ग्रामीणों को शासन की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। बीडीओ और एडीओ पंचायत की भूमिका पर सवाल उठते दिख रहे हैं, मगर जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।

सूत्रों के अनुसार, शासन द्वारा कंप्यूटर, इन्वर्टर, बैटरी, टेबल, कुर्सी, बेंच जैसी सुविधाओं की व्यवस्था के नाम पर भुगतान तो हो चुका है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। आधे से अधिक पंचायत भवनों में यह सामग्री दिखाई नहीं देती। कई भवनों पर तो ताले लटक रहे हैं, कुछ में झाड़ियाँ उग आई हैं।

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फर्जी नियुक्ति और मानदेय भुगतान का खुलासा
गड़हीचक जहरुल्लाह ग्रामसभा का मामला और भी चौंकाने वाला है, जहां पंचायत सहायक के पद पर प्रधान ने अपने भाई की लड़की की नियुक्ति करवा दी। ग्रामीणों का आरोप है कि वह युवती गांव में रहती ही नहीं, बल्कि बाहर रहकर पढ़ाई कर रही है। इसके बावजूद लाखों रुपये का मानदेय भुगतान कर दिया गया।

पंचायत भवनों की अनुमानित लागत और उद्देश्य
गौरतलब है कि एक पंचायत भवन की अनुमानित लागत 17.46 लाख रुपये है। सरकार की मंशा है कि ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं की जानकारी, प्रमाणपत्र बनवाने, शिकायत दर्ज कराने जैसी सुविधाएं गांव में ही मिलें, ताकि उन्हें विकासखंड कार्यालय के चक्कर न काटने पड़ें। लेकिन अधिकारियों और प्रधानों की मिलीभगत से यह व्यवस्था सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई है।

जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी, जनता में आक्रोश
जब पत्रकारों ने इस संबंध में खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) से बात करनी चाही तो उन्होंने फोन पर बातचीत से इनकार करते हुए कॉल काट दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि जब पत्रकारों से बात करने में उन्हें समस्या है, तो आम जनता की समस्याओं पर उनका रवैया कैसा होगा?

जांच और कार्यवाही की मांग
ग्रामीणों की मांग है कि फर्जी भुगतान, नियुक्तियों और कागजी व्यवस्थाओं की उच्च स्तरीय जांच हो तथा दोषी प्रधानों व अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही की जाए। जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक पंचायत भवनों पर सुविधाएं केवल सरकारी दस्तावेजों में ही मौजूद रहेंगी और भ्रष्टाचार का यह खेल यूं ही चलता रहेगा।

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