राष्ट्रीय
भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होंगे 26 समुद्री राफेल

राफेल की दूसरी खेप से वायुसेना और नौसेना की संयुक्त शक्ति होगी और मजबूत
भारत और फ्रांस के बीच एक बड़े रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिसके तहत भारत अपनी नौसेना के लिए 26 अत्याधुनिक राफेल मरीन लड़ाकू विमान खरीदेगा। 64,000 करोड़ रुपए की लागत से होने वाले इस समझौते पर सोमवार को नई दिल्ली स्थित नौसेना भवन में हस्ताक्षर किए गए। इस ऐतिहासिक समझौते को दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की मौजूदगी में अंतिम रूप दिया गया।
राफेल मरीन विमानों की यह खरीद भारतीय नौसेना की समुद्री मारक क्षमता को नया आयाम देगी। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच इन विमानों की तैनाती सामरिक शक्ति संतुलन की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
तीन वर्षों में पूरी होगी आपूर्ति
समझौते के अनुसार, राफेल विमानों की आपूर्ति वर्ष 2028 से शुरू होकर 2030 तक पूरी कर ली जाएगी। इनमें 22 सिंगल सीटर और 4 ट्विन सीटर विमान शामिल होंगे। यह सौदा सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी बल देगा, क्योंकि इसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, स्वदेशी हथियारों का एकीकरण और देश में रखरखाव सुविधाओं की स्थापना का भी प्रावधान है।
समुद्री क्षमता में गुणात्मक बदलाव की उम्मीद
राफेल मरीन विमानों का संचालन स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत से किया जाएगा। वर्तमान में भारतीय नौसेना मिग-29 जेट्स का उपयोग करती है, जो INS विक्रमादित्य पर तैनात हैं। राफेल की तैनाती से न केवल नौसेना की हवाई ताकत में इजाफा होगा, बल्कि यह वायुसेना के साथ संयुक्त परिचालन क्षमता को भी बढ़ाएगा।
स्वदेशी उत्पादन और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस सौदे से देश में एमएसएमई को बड़ा अवसर मिलेगा और हजारों रोजगार सृजित होंगे। डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित राफेल जेट समुद्री परिस्थितियों में अपनी क्षमताएं पहले ही सिद्ध कर चुका है। साथ ही, इन विमानों को बियांड विजुअल रेंज मिसाइल ‘एस्ट्रा एमके-1’ से भी लैस किए जाने की योजना है।
समझौते में कई प्रमुख अधिकारी रहे मौजूद
इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, फ्रांसीसी समकक्ष सेबेस्टियन लेकॉर्नू, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, फ्रांस के भारत में राजदूत डॉ. थिएरी मथौ और डसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर मौजूद रहे।