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वाराणसी

“हिन्दी और हिन्दुस्तान की गरिमा के लिए आचार-विचार और संस्कार जरूरी”: मिसेज इंडिया मधु यादव

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वाराणसी। जनपद के रामकटोरा स्थित महामना मालवीय सभागार में विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें हिन्दी और भारतीय संस्कृति की गरिमा को ऊंचा रखने का संदेश दिया गया। कार्यक्रम का आयोजन काशी हिन्दी विद्यापीठ और अखिल भारतीय हिन्दी परिषद के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस आयोजन में समाजसेवियों, कवियों, साहित्यकारों और विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े विशिष्ट व्यक्तियों को “विद्या वाचस्पति”, “हिन्दी साहित्य शिरोमणि” और “साहित्य रत्न” जैसे मानद सम्मानों से विभूषित किया गया।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि, मिसेज इंडिया मधु यादव ने कहा कि हिन्दी और हिन्दुस्तान की गरिमा को बनाए रखने के लिए हमें अपने आचार, विचार और संस्कार को शुद्ध रखना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह समय पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से हटकर भारतीय मूल्यों को अपनाने का है।

प्रयागराज के पूर्व जिला जज और अंतरराष्ट्रीय गज़लकार डॉ. चंद्रभाल सुकुमार ने अपने संबोधन में हिन्दी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के प्रमुख संयोजक प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी ने कहा कि “हिन्दी की बिंदी” को बिगाड़ने से बचना चाहिए और विश्वगुरु भारत की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए हिन्दी को मजबूत करना होगा।

इस अवसर पर काशी काव्य महाकुंभ का आयोजन भी किया गया, जिसकी अध्यक्षता डॉ. विजयानन्द ने की। उन्होंने घोषणा की कि लखनऊ और प्रयागराज में भी आगामी काव्य महाकुंभ आयोजित किए जाएंगे।

कार्यक्रम में कवि अवधबिहारी “अवध”, नाट्य रंगकर्मी विजय कुमार गुप्ता, भजन गायक गोपाल त्रिपाठी, फिल्म निर्माता संजय शर्मा, कवि शिवप्रकाश साहित्य, अनुज दूबे, दीपक ज्योति त्रिपाठी, संगीता श्रीवास्तव, शारदा अधिकारी, और अन्य विशिष्ट व्यक्तियों को सम्मानित किया गया।

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आयोजन के अंत में स्वागत संबोधन प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी और श्रीप्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश ने दिया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राम अवतार पाण्डेय ने किया। यह आयोजन हिन्दी और भारतीय संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल साबित हुआ।

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