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वाराणसी

स्वस्थ और सजग भोजन व्यवस्था हृदय संबंधी बीमारियों को रोकने में मददगार विश्व हृदय दिवस पर विशेषज्ञों ने नए खाद्य लेबलिंग में सावधानी बरतने की मांग की

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वाराणसी। विश्व ह्रदय दिवस के अवसर पर मानवाधिकार जननिगरानी समिति (PVCHR), गरीब सहायक, पीपुल्स इनिशिएटिव फॉर पार्टिसिपेटरी एक्शन ऑन फूड लेबलिंग (पीपल) और विभिन्न संगठन के संयुक्त तत्वाधान में स्वास्थ्य और पैक्ड फ़ूड पर परिचर्चा का आयोजन ककरमत्ता स्थित एक होटल, में आयोजित किया गया|इस कार्यक्रम की रूप रेखा रखते हुए मानवाधिकार जननिगरानी समिति (PVCHR) के संस्थापक व संयोजक डॉ. लेनिन रघुवंशी ने कहा भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने हाल ही में बहुप्रतीक्षित एक स्टार रेटिंग फूड लेबल आधारित एफओपीएल विनियम को जारी करके, उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्प चुनने के अधिकार के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह के पोषक तत्वों के साथ खाद्य लेबलिंग उपभोक्ताओं को सचेत निर्णय लेने में मदद करने के बजाय भ्रमित ही करेगा।उन्होंने आगे बताया कि इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली ने PVCHR के पेटीशन को प्राथमिकता देते हुए 20 जुलाई, 2022 को मुख्य कार्यकारी अधिकारी, खाद्य सुरक्षा और भारतीय मानक प्राधिकरण, स्वास्थ् एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को नोटिस जारी किया की सलाहकार समूह फोरम के परिणाम को आयोग को आठ सप्ताह कीअवधि के भीतर सूचित किया जाय|
भारत में हर साल 58 लाख से अधिक भारतीय गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) जैसे कैंसर, मधुमेह, अनियंत्रित उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों की वजह से मृत्यु के शिकार हो जाते हैं। इन बिमारियों में सभी नहीं तो अधिकतर बिमारियों का इलाज मुश्किल है, लेकिन एक बेहतर स्वस्थ्य खाद्य सिस्टम से इनको रोका जा सकता है। एक स्वस्थ आबादी के लिए खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के पैक के सामने एक अनिवार्य चेतावनी को एक प्रभावी नीतिगत समाधान माना जाता है।
गरीब सहायक संस्था की संयोजक रोशिनी कुशल जायसवाल ने कहा कि “देश में विशेष रूप से बच्चों और युवाओं में एनसीडी के बढ़ते मामलों को देखते हुए, यह उचित समय है कि देश पोषण संबंधी लेबलिंग पर ध्यान केंद्रित करे जो उपभोक्ताओं के लिए ‘चेतावनी लेबल’ के रुप में सबसे अधिक कारगार है। हमें उम्मीद है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नागरिक समाज के सुझावों पर विचार किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि यह समय की माँग है पैक्ड फ़ूड पर सरकार अविलंब वार्निंग लेबल लाये जिससे हम लोग ख़ुद या अपने बच्चे को पैक्ड फ़ूड देने से पहले देख ले की क्या उनके स्वास्थ्य के सही है| इसके अलावा भारत, जहां हृदय रोग के वैश्विक बोझ का 25% हिस्सा है, को सरल चेतावनियों से सबसे अधिक लाभ होगा जो लोगों को आसानी से सचेत कर सकता है।
एपेक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल इंस्टिट्यूट के डिपार्टमेंट ऑफ़ ऑन्कोलॉजी की डायरेक्टर डॉ. अंकिता पटेल,एम० बी० बी० एस, एम० डी० ने कहा, “भारत में हर साल लाखों लोग हृदय रोगों से ग्रस्त मिल रहे हैं। साथ ही, हार्ट अटैक के चलते मौतें भी लगातार बढ़ रही हैं। इसमें युवाओं की तादाद भी कम नहीं है। नियमित व्यायाम करने और सक्रिय जीवन जीने के साथ-साथ उच्च वसा, नमक और चीनी और तंबाकू के उपयोग से भरे अल्ट्रा-प्रोसेस फूड से बचने जैसे व्यवहार संबंधी बदलावों को अपना करके अधिकांश हृदय रोगों को रोका जा सकता है।काशी के प्रबुद्धजन ने माननीय प्रधानमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर इस मामले में ध्यान आकृष्ट कराया| इस परिचर्चा में 50 लोगो ने भागीदारी किया|
इस कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन सावित्री बाई फुले की संयोजिका श्रुति नागवंशी ने किया|

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