गाजीपुर
स्कूल में करंट से बच्ची की मौत, आयोग ने दिया पांच लाख मुआवजे का निर्देश

गाजीपुर। नगसर हाल्ट थाना क्षेत्र के उजराडीह कंपोजिट विद्यालय में करंट लगने से एक मासूम बच्ची की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को मृतक के परिजनों को पाँच लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश जारी किया है। आयोग ने छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का सख्त आदेश भी दिया है।
यह मामला उस समय सामने आया जब विद्यालय परिसर में लगे हैंडपंप पर पानी पीने के दौरान रागिनी नामक पांच वर्षीय बालिका करंट प्रवाहित तार की चपेट में आ गई। बच्ची अचेत होकर गिर पड़ी और उसे आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।
मामले को गंभीरता से लेते हुए मानवाधिकार सीडब्ल्यूए (CWA) के चेयरमैन योगेंद्र कुमार सिंह ‘योगी’ ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को शिकायत भेजी थी। उन्होंने मृतक के परिवार को न्याय दिलाने और दोषियों पर कठोरतम कार्यवाही की मांग की थी।
लापरवाही साबित, अधिकारी और शिक्षक निलंबित
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए। जांच में स्पष्ट हुआ कि यह हादसा विद्यालय प्रशासन और खंड शिक्षा अधिकारी की घोर लापरवाही का परिणाम था। रिपोर्ट में प्रधानाध्यापक शेषनाथ सिंह, सहायक अध्यापक विनोद सिंह, शैलेन्द्र राम और सुधीर कुमार की लापरवाही सामने आई, जिसके चलते सभी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
इसके अतिरिक्त, शिक्षा मित्र शिवशंकर राय और श्रीमती शीला कुशवाहा की जिम्मेदारी तय करते हुए उनका पारिश्रमिक अगले आदेश तक जब्त कर लिया गया। जांच में खंड शिक्षा अधिकारी रेवतीपुर की निरीक्षण में विफलता भी उजागर हुई, जिसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति शासन से की गई है।
मौलिक अधिकारों का हनन: आयोग
आयोग ने सुनवाई में स्पष्ट किया कि यदि विद्यालय प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारी अधिक सतर्क रहते, तो इस नाबालिग बच्ची की असामयिक मृत्यु रोकी जा सकती थी। आयोग ने इसे “जीवन के अधिकार” का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि राज्य का कर्तव्य है कि वह बच्चों को सुरक्षित एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराए।
आयोग ने कहा, “बच्चों को खतरनाक भवनों या असुरक्षित परिसर में शिक्षा के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। अभिभावकों को अपने बच्चों को खतरनाक स्कूलों में भेजने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित करे।”
कारण बताओ नोटिस, अनुपालन रिपोर्ट की चेतावनी
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 18 के तहत उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें पूछा गया है कि क्यों न मृतक रागिनी पुत्री भोजा राजभर के परिजनों को पाँच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।
हालांकि आयोग द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बावजूद सरकार की ओर से कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए आयोग ने पुनः अनुस्मारक जारी किया है और चेतावनी दी है कि यदि 08 जून 2025 तक अनुपालन रिपोर्ट प्राप्त नहीं होती, तो आयोग मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 13 के तहत अपनी बाध्यकारी शक्तियों का प्रयोग करेगा।