धर्म-कर्म
स्कंदमाता के दर्शन से पूर्ण होती है संतान की कामना, काशी में इस जगह स्थित है मंदिर
वाराणसी। चैत्र नवरात्रि के पावन महीने में भक्तों को श्रद्धा भाव से पूजन करते देख मां उनकी हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। स्कंदमाता को सहनशक्ति की देवी भी कहा जाता है। आज चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन है, जो स्कंदमाता को समर्पित है। माता रानी कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है।

बात करें स्कंदमाता के मंदिर की तो काशी के जैतपुरा क्षेत्र में मां स्कंदमाता का मंदिर स्थित है। पुरोहितों और ज्योतिष के जानकारों के अनुसार वाराणसी के जगतपुरा क्षेत्र के बागेश्वरी देवी मंदिर परिसर में दुर्गा के पांचवे स्वरूप मां स्कंदमाता का मंदिर है। देवी के इस रूप का उल्लेख काशी खंड और देवी पुराण में इस स्वरूप का उल्लेख मिलता है।

मान्यता है कि, एक समय देवासुर नाम के राक्षस ने वाराणसी में संतों आम लोगों पर अत्याचार शुरू कर दिया। इस पर मां स्कंदमाता ने उस राक्षस का विनाश कर दिया। इस घटना के बाद यहां माता की पूजा की जाने लगी। मान्यता है कि माता यहां विराजमान हो गईं और काशी की बुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं।
मंदिर में मां की प्रतिमा मौजूद है और उनकी गोद में उनके पुत्र कुमार कार्तिकेय भी विराजमान हैं। मंदिर के पुजारी के, अनुसार माता के दर्शन से संतान सुख की मनोकामना पूरी होती है। इसलिए साल भर इनके दर्शन को सुहागिनें महिलाएं मंदिर आती हैं। स्कंदमाता को कार्तिकेय बहुत प्यारे हैं इसलिए उन्हें स्कंदमाता कहा गया।
