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वाराणसी

सदगुरु कबीर साहेब की जन्म स्थली पर आईजी के सत्यनारायण ने मत्था टेककर खीर प्रसाद चखा

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वाराणसी। कबीर दास जन्मस्थली लहरतारा में आयोजित पांच दिवसीय प्रसाद वितरण के साथ तीसरे संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया था । संगोष्ठी में महन्त गोविन्द दास शास्त्री ने कहा कि गुरु रविदास एवं कबीर साहब समाज मे व्याप्त कुरुतियों को मिटाने का कार्य किया है। जिसमें इग्नू दिल्ली से पधारे मनोज कुमार सिंह ने कहा कि रविदास एवं कबीर के वाणी 600 वर्ष पहले जितने प्रासंगिक थे आज भी उतने हि प्रासंगिक है महन्त त्रिलोक साहेब ने कहा कि रविदास और कबीर साहेब ने मानव सेवा हि साधना है हरियाणा के धरमदास ने कहा कि साई इतना जिजिये कि कबीर साहेब के दरबार से कोइभूख न जाय समाज सेवी लाल जी गुप्ता कहां की आज गुरु रविदास एवं कबीर की जरूरत है सैलेस वर्णवाल ने कहा कि रविदास ने जातिपात एवं छुआछूत को मिटाने का कार्य किया।
कवि-गीतकार, आलोचक और बेला पत्रिका के संपादक संजय पंकज ने कबीर और रविदास जी के तीन कविताये सुनाये।

करघे की धुन पर नाच रहा
सत्य जगत का वह बांच रहा
ताना – भरनी मौज फकीरा!

इन तीनों गीतों को सुनकर लगा मानो उनके रग रग में काशी के साहित्य और कबीर बसे हुए हैं।

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