वाराणसी
संस्कृत शास्त्रों में पूजा-पाठ की विधियों को सभी छात्राओं को सीखना चाहिए : रचना दूबे
दशदिवसीय संस्कृत-सम्भाषण शिविर का हुआ समापन
वाराणसी। आर्य महिला पीजी कालेज के संस्कृत विभाग एवं संस्कृत-भारती, काशी प्रान्त के संयुक्त तत्त्वावधान में तथा प्राचार्या रचना दूबे के निर्देशन में 12 अप्रैल से 22 अप्रैल तक चलने वाली दशदिवसीय संस्कृत-सम्भाषण शिविर का 22 अप्रैल को सम्पूर्ति समारोह का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की विशिष्टातिथि महाविद्यालय की प्राचार्या रचना दूबे, मुख्यातिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ. प्रीति वर्मा तथा अध्यक्ष के रूप में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या विभाग के आचार्य प्रो० रविशंकर पाण्डेय उपस्थित थे।
कार्यक्रम में विशिष्टातिथि के रूप में उद्बोधन करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या ने कहा कि, सम्पूर्ण प्राचीनतम शास्त्र संस्कृत भाषा में ही निहित होने के कारण आज संस्कृत भाषा की वैश्विक स्तर पर अत्यधिक मांग है। मैं आज आप सभी छात्राओं के मुख से इस भाषा को सुनकर अति प्रफ्फुलित हूँ, क्योंकि हमने प्राचीन काल से वर्तमान तक पुरुषों के ही अधिकार में इस भाषा को देखा था। साथ ही संस्कृत शास्त्रों में निहित पूजा-पाठ की विधियों को भी आप सभी छात्राओं को अब सीखना चाहिए।
मुख्यातिथि के रूप में उदबोधन करते हुए डॉ. प्रीति वर्मा ने कहा कि यहाँ उपस्थित छात्राओं को संस्कृत भाषा में वार्तालाप करते हुए देखकर मुझे अतिप्रसन्नता हो रही हैं तथा मेरी यही कामना इस संस्कृत भाषण की निरन्तरता बनी रहे। साथ ही उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा मात्र नहीं है, अपितु इसके अध्ययन के अनन्तर एक विशाल साहित्य संरचना को समझना ही संस्कृत सम्भाषण का लक्ष्य एवं मुख्य उद्देश्य है।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रो० रविशंकर पाण्डेय ने कहा कि, इस महाविद्यालय में आकर तथा संस्कृत की इस प्रवाह को देखकर हृदय से अभिभूत हूँ। हमने प्रायः यह सुना था कि संस्कृत भाषा एक मृतभाषा है, किन्तु आज यहाँ इस कार्यक्रम में संस्कृत भाषा को मृत नहीं अमृत के रूप में देख रहा हूँ। संस्कृत शास्त्रों में स्त्री-पुरुष की समकक्ष तुलना ही नहीं है क्योंकि नारियों का संस्कृत वाङ्मय में देवता तुल्य एक विशिष्ट स्थान प्रतिष्ठित रहा है और यहाँ संस्कृत भाषी छात्राओं को देखकर साक्षात् देवी के मुख से देव-भाषा मुखरित होते हुए देख रहा हूँ।
इस सम्पूर्ति कार्यक्रम में महाविद्यालय की छात्राओं ने लघुनाटिका, नृत्य, दूरवाणी सम्भाषण, सुभाषित कथन, समूहसंस्कृतगीत तथा स्वानुभव कथन आदि सहित सम्पूर्ण कार्यक्रम की प्रस्तुति संस्कृत भाषा में ही किया। स्वागत भाषण डॉ. दिव्या ने, वैदिक मंगलाचरण डॉ. नागमणि त्रिपाठी ने, लौकिक मंगलाचरण तनु शर्मा एवं शिखा मिश्रा ने, संचालन प्रगति मिश्रा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पुष्पा त्रिपाठी ने किया। डॉ. अरिमा त्रिपाठी तथा डॉ. रितु कयाल का इसमें अपेक्षित सहयोग रहा।संस्कृत एवं विभिन्न विभागों के शिक्षक-शिक्षिकाओं सहित लगभग 50 छात्राएँ उपस्थित थीं।