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गोरखपुर

शरद पूर्णिमा की अमृत वर्षा

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गोरखपुर। दशहरे से शरद पूर्णिमा तक चन्द्रमा की चाँदनी में विशेष हितकारी किरणें होती हैं। इनमें विशेष रस होते हैं। इन दिनों में चन्द्रमा की चाँदनी का लाभ लेने से वर्षभर मानसिक और शारीरिक रूप से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। प्रसन्नता और सकारात्मकता भी बनी रहती है। इस रात कुछ खास बातों का भी ध्यान रखना चाहिए, जिससे खीर को दिव्य औषधि बनाया जा सकता है, और इस खीर को विशेष तरह से खाने पर इसका लाभ भी अवश्य मिलेगा।

शरद पूर्णिमा पर अश्विनी कुमारों के साथ यानी अश्विनी नक्षत्र में चन्द्रमा पूर्ण 16 कलाओं से युक्त होता है। चन्द्रमा की ऐसी स्थिति साल में 1 बार ही बनती है। वहीं ग्रंथों के अनुसार अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं। इस रात चन्द्रमा के साथ अश्विनी कुमारों को भी खीर का भोग लगाना चाहिए। चन्द्रमा की चाँदनी में खीर रखना चाहिए और अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना चाहिए कि हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ाएं, जो भी इन्द्रियां शिथिल हो गई हों, उनको पुष्ट करें। ऐसी प्रार्थना करने के बाद फिर वह खीर खाना चाहिए।

शरद पूर्णिमा पर बनाई जाने वाली खीर मात्र एक व्यंजन नहीं होती है। ग्रंथों के अनुसार यह एक दिव्य औषधि होती है। इस खीर को गाय के दूध और गंगाजल के साथ ही अन्य पूर्ण सात्विक चीजों से बनाना चाहिए। अगर संभव हो तो यह खीर चाँदी के बर्तन में बनाएं। इसे गाय के दूध में चावल डालकर ही बनाएं। ग्रंथों में चावल को हविष्य अन्न यानी देवताओं का भोजन बताया गया है।

महालक्ष्मी भी चावल से प्रसन्न होती हैं। इसके साथ ही केसर, गाय का घी और अन्य तरह के सूखे मेवों का उपयोग भी इस खीर में करना चाहिए। संभव हो तो इसे चन्द्रमा की रोशनी में ही बनाना चाहिए।

चन्द्रमा मन और जल का कारक ग्रह माना गया है। चन्द्रमा की घटती और बढ़ती अवस्था से ही मानसिक और शारीरिक उतार-चढ़ाव आते हैं। अमावस्या और पूर्णिमा को चन्द्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है। जब चन्द्रमा इतने बड़े दिगम्बर समुद्र में उथल-पुथल कर विशेष कम्पायमान कर देता है, तो हमारे शरीर के जलीय अंश, सप्तधातुएं और सप्त रंग पर भी चन्द्रमा का विशेष सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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शरद पूर्णिमा की रात में सूई में धागा पिरोने का अभ्यास करने की भी परंपरा है। इसके पीछे कारण यह है कि सूई में धागा डालने की कोशिश में चन्द्रमा की ओर एकटक देखना पड़ता है, जिससे चन्द्रमा की सीधी रोशनी आँखों में पड़ती है। इससे नेत्र ज्योति बढ़ती है।

शरद पूर्णिमा पर चन्द्रमा को अर्घ्य देने से अस्थमा या दमा रोगियों की तकलीफ कम हो जाती है। शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा की चाँदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है।

शरद पूर्णिमा की चाँदनी का महत्त्व ज्यादा है। इस रात चन्द्रमा की रोशनी में चाँदी के बर्तन में रखी खीर का सेवन करने से हर तरह की शारीरिक परेशानियाँ दूर हो जाती हैं।

उपवास, व्रत तथा सत्संग करने से तन तंदुरुस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि प्रखर होती है। शरद पूर्णिमा की रात में तामसिक भोजन और हर तरह के नशे से बचना चाहिए। चन्द्रमा मन का स्वामी होता है, इसलिए नशा करने से नकारात्मकता और निराशा बढ़ती है।

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