वाराणसी
वॉलीबॉल खेल में कांस्य पदक जीतने वाले खिलाड़ी आयुष्मान सिंह लौटे घर, हुआ जोरदार स्वागत
रिपोर्ट – प्रदीप कुमार
वाराणसी। मध्यप्रदेश के भोपाल में 30 जनवरी से 11 फरवरी 2023 तक चल रहे 5वां खेलों इंडिया यूथ गेम 2022 के वालीबॉल खिलाड़ी आयुष्मान सिंह जिन्होंने कांस्य पदक जीतकर काशी का मान सम्मान बढ़ाया है आज उनकी घर वापसी हो गई। वाराणसी कैंट स्टेशन पहुंचने पर यहां उनकी एक झलक पाने के लिए परिजन और खिलाड़ियों का जमावड़ा लगा रहा और उनका जोरदार स्वागत किया गया। बताते चलें कि आयुष्मान सिंह पुत्र मनोज कुमार सिंह उर्फ डब्बू सिंह ग्राम जाल्हुपुर थाना चौबेपुर के मूल निवासी हैं जिन्होंने वॉलीबॉल खेल में कांस्य पदक जीता है और आज वह घर वापसी किये हैं। घर वापसी पर उनके गांव में स्थानीय लोगों, परिजनों, खिलाड़ियों, ग्रामीणों ने ढोल- नगाड़ों के साथ उनका जोरदार स्वागत किया और उनके जीत में अपनी जीत बताते हुए खुद को भी गौरवान्वित महसूस करते रहे। ग्रामीणों ने कहा कि आयुष्मान सिंह ने जो वादा किया था कि वह वालीबाल प्रतियोगिता में काशी का मान और देश का सम्मान बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा उन्होंने अपना वादा पूरा किया और वॉलीबॉल प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतकर सम्मान बढ़ाया है। आयुष्मान सिंह के घर पहुंचते ही उनके घर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा और लोग एक दूसरे का मुंह मीठा करते हुए एक दूसरे को मिठाई खिलाते हुए जश्न में डूबे रहे। आयुष्मान सिंह के पिता मनोज कुमार सिंह उर्फ डब्बू सिंह ने बताया कि मेरे पुत्र ने जो देशवासियों को आश्वासन देकर के मध्य प्रदेश के भोपाल में वालीबाल प्रतियोगिता में खेलने गया था जिसका वाराणसी से एकलौता चयन हुआ था और उन्होंने जाते हुए हम सबको आश्वासन दिया था कि किसी भी कीमत पर काशी का मान- सम्मान घटने नहीं दूंगा और कोई न कोई मेडल अवश्य जीत कर लाऊंगा। वह आज अपने वादे पर खरा उतरा है इससे हमारे परिवार, ग्रामीण एवं क्षेत्र सहित पूरे देश का सम्मान बढ़ा है और इससे अन्य खिलाड़ियों को भी उम्मीद जगी है कि वह अच्छा खेल का प्रदर्शन करते हुए अपने देश का अपने क्षेत्र का मान सम्मान बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगे। वॉलीबॉल खिलाड़ी आयुष्मान सिंह को कांस्य पदक गले मे पहनकर अपने घर पहुंचते ही घंटो से राह देख रहे ग्रामीणों ने उन्हें कंधों पर बिठाकर पूरे गांव का चक्रमण करवाया और पूरे जश्न के साथ मस्ती में डूबे रहे। आयुष्मान सिंह ने एक अनौपचारिक बातचीत में मीडियाकर्मियों को बताया कि मेडल जीतना इतना आसान नहीं था काफी मेहनत के बाद मेडल मिल सका है इसके लिए प्रत्येक खिलाड़ी को लगभग 8 घंटे तक खेलना पड़ता था तब जाकर के यह उपलब्धि हासिल हुई है।
