वाराणसी
वाराणसी में गर्मी का कहरः एक दिन में 17 मौत, श्मशान घाटों पर शव रखने की जगह नहीं
रिपोर्ट – प्रदीप कुमार
वाराणसी।जिले में गर्मी का कहर जारी है। आलम ये कि एक दिन में हीट स्ट्रोक, डायरिया और डिहाईड्रेशन के चलते 17 लोगों की जान चली गई। हालात इतने बुरे हो चले हैं कि अस्पातल पहुंचते-पहुंचते लोग दम तोड़ दे रहे हैं। अभी तीन दिन पहले ही चार लोगों आसमान से बरसते अंगारे की भेंट चढ चुके हैं। उधर श्री काशी विश्वनाथ धाम परिसर में दो दर्शनार्थियों की मौत हो चुकी है।
जिला व मंडलीय अस्पताल में 13 की मौत
गर्मी के चलते पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल और श्री शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल में 13 लोगों की मौत हो गई। जानकारी के अनुसार मंडलीय अस्पताल में इलाजरत पांच लोगों की मौत हो गई तो अस्पताल पहुंचते ही छह अन्य ने दम तोड़ दिया। ये बुधवार का आंकड़ा है। इसी तरह जिला अस्पातल में आठ लोगों ने दम तोड़ दिया। इसमें भी पांच ऐसे हैं जिनकी मौत अस्पताल पहुंचते ही हुई।
चार अन्य ने भी गंवाई जान
इसके अलावा चौबेपुर के उगापुर, जलालीपट्टी में एक-एक मौत हीट स्ट्रोक के चलते हुई। वहीं मंडुवाडीह और शिवपुर के यमुना नगर कालोनी में एक-एक लोगों ने गर्मी के चलते दम तोड़ दिया।
शव गृह में शव रखने की जगह नहीं
हालत ये हैं कि शिवपुर स्थित शवगृह हो या मंडलीय अस्पताल का शवगृह, शव रखने की जगह नहीं बची है। बता दें कि शिवपुर शवगृह में 12 शव रखने की क्षमता है। ऐसे में इससे ज्यादा मौत होने पर शवों को बाहर रखना पड़ रहा है। उधर मंडलीय अस्पताल के शवगृह में शवों के सड़ने की नौबत आ गई है। दरअसल यहां शव रखने के लिए जो डीप फ्रीजर है उसमें एक साथ छह शव ही रखे जा सकते हैं। ऐसे में इन दिनों गर्म से होने वाली मौत के अलावा पोस्टमार्टम केस वाले शवों को रखने के लिए जगह ही नहीं बच रही है।
“गर्मी से लोगों की हालत इतनी खराब है कि कई तो अस्पताल पहुंचते-पहुंचते रास्ते में ही दम तोड़ दे रहे हैं।”-हरिचरण सिंह, एसआईसी, मंडलीय अस्पताल
श्मशान घाटों का बुरा हाल
भीषण गर्मी के चलते हो रही मौत के चलते काशी के दोनों श्मशान घाट (मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट) पर शव रखने की जगह नहीं रह गई है। दरअसल इन दोनों ही घाटों पर बनास के आसपास के जिलों से भी लोग मोक्ष की कामना से शव लेकर आते हैं। ऐसे में इन दिनों हालात बेकाबू हो चले हैं। मणिकर्णिका घाट आने वाले शवयात्रियों का बुरा हाल है। यहां अंतिम संस्कार के लिए लोगों को 4-4 घंटे सीड़ी पर शव रख कर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। इतनी देर तक श्मशान में समय गुजारने वाले शवयात्रियों का कहना है कि यहां न बैठने के लिए ना कहीं छांव का इंतजाम है न ही पेयजल की ही मुकम्मल व्यवस्था है। कमोबेश यही हाल हरिश्चंद्र घाट का है।