वाराणसी
वरुणा नदी के संरक्षण के लिए ड्रोन सर्वे शुरू, तटों की स्थिति का होगा डिजिटल आकलन
वाराणसी। गंगा की सहायक और पौराणिक महत्व रखने वाली वरुणा नदी के संरक्षण और जीर्णोद्धार के लिए वाराणसी में ड्रोन सर्वेक्षण शुरू किया गया है। इस पहल का उद्देश्य नदी के किनारों की मौजूदा स्थिति का सटीक आकलन करना, प्रदूषण स्रोतों व अतिक्रमण की पहचान करना और भावी संरक्षण योजनाओं के लिए डिजिटल डाटा तैयार करना है।
सर्वेक्षण कार्य हरहुआ से वरुणा के उद्गम स्थल प्रयागराज तक किया जा रहा है। यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश के तहत चल रहा है। अधिकरण ने सौरभ तिवारी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में वरुणा नदी के फ्लड प्लेन जोन के निर्धारण हेतु सर्वे ऑफ इंडिया को चिह्नांकन करने का निर्देश दिया था।
फिक्स विंग हाइब्रिड ड्रोन से डिजिटल मैपिंग
प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर सुधांशु सिंह ने बताया कि सर्वे में एयरक्राफ्ट (फिक्स विंग हाइब्रिड ड्रोन) का उपयोग किया जा रहा है, जो LiDAR सेंसर और हाई रिजोल्यूशन ऑप्टिकल कैमरा से सुसज्जित है। 19 अक्टूबर से शुरू हुआ यह सर्वेक्षण अब तक बड़ागांव तक पहुंच चुका है। यह कार्य सुबह से शाम तक लगातार जारी है। एयरपोर्ट अथॉरिटी से अनुमति प्राप्त होने के बाद ड्रोन को 400 फीट की ऊंचाई से उड़ाया जा रहा है।
सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर नदी की चौड़ाई, तटरेखा और जलस्तर का डिजिटल डाटा तैयार किया जाएगा। यही डाटा आगे की संरक्षण योजना का आधार बनेगा।
वरुणा नदी का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व
वाराणसी की पहचान “वरुणा” और “असि” नदियों से जुड़ी है। यही कारण है कि इस नगरी का नाम वाराणसी पड़ा। वरुणा नदी न केवल तटवर्ती लोगों के जीवन और खेती से जुड़ी है, बल्कि इसमें पाए जाने वाले जलीय जीव और जैविक पौधे भी इसके पारिस्थितिक महत्व को दर्शाते हैं।
अतीत में वरुणा नदी के उद्धार के लिए कई प्रयास किए जा चुके हैं। इज़राइल की विशेषज्ञ टीम ने भी इस दिशा में सहयोग दिया था, वहीं बीएचयू के वैज्ञानिकों ने नदी के ढलान और प्रवाह क्षेत्र का सर्वेक्षण किया था। अब ड्रोन सर्वेक्षण से मिले सटीक आंकड़े वरुणा नदी के पुनर्जीवन की दिशा में एक नई उम्मीद जगाने वाले हैं।
