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वाराणसी

रस बनारस के स्वर ताल में सजी शास्त्रीय संगीत की महफिल

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रिपोर्ट – प्रदीप कुमार

रुद्राक्ष में गूंज उठी शहनाई, गायन और नृत्य पर दर्शकों ने खूब तालियां बजाई

वाराणसी: सिडबी व स्पिक मैके उत्तरप्रदेश के द्वारा रविवार को सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम रस बनारस का आयोजन हुआ। जिसमें शहनाई की मधुर धुन के साथ स्वर ताल के अद्भुत संगम में श्रोताओं ने खूब गोते लगाए।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि वाराणसी के जिलाधिकारी एस. राजलिंगम विशिष्ट अतिथि सिडबी के सीएमडी एस.रमण सहित अतिथि कलाकारों ने दीप प्रज्वलित कर किया गया। मुख्य अतिथि का स्वागत एवं सम्मान स्पिक मैके के चेयरपर्सन यू.सी. सेठ एवं डॉ मधु शुक्ला ने माल्यार्पण एवं अंगवस्त्रम ओढ़ा कर किया। जिलाधिकारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि वाराणसी एवं भारतीय संस्कृति को सहेजने के प्रति प्रधानमंत्री जी के सराहनीय पहल में सभी संस्थाओं एवं नागरिकों के योगदान देने की जरूरत है।
स्पिक मैके की ओर से वर्ष भर चल रहें कार्यशाला की झलक को वृत्तचित्र के माध्यम से शांभवी शुक्ला द्वारा प्रस्तुत किया गया। कृष्ण मूर्ति फाउंडेशन राजघाट, बसंता कॉलेज और सनबीम लहरतारा के बच्चों ने तबला वादन एवं शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही लूटी।
कार्यक्रम की शुरुआत बनारस घराने के पं संजीव शंकर एवं पं अश्विनी शंकर बन्धुओं के शहनाई के मधुर धुन के साथ हुई। उन्होंने शहनाई की लोकप्रिय मध्य लय तीन ताल में राग मधुवंती की एक रचना बजाई। राग बसंत तीन ताल में राग पीलू पर आधारित बोल मृगनयनी तोरी आंख क्या किसी को मारेगी गोरिया पर शहनाई बजाकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। अपने दादा गुरु स्व. पं महादेव प्रसाद मिश्र द्वारा बनाई गई बनारसी धुन को भी बजाकर सुनाया।
उनके साथ तबले पर श्रुतिशील उद्धव, शहनाई पर आनंद शंकर एवं दुक्कड़ पर कांता प्रसाद ने संगत की।
तत्पश्चात पद्मभूषण पं साजन मिश्र एवं पं स्वरांश मिश्र का शास्त्रीय गायन हुआ।
शुरुआत पं स्वरांश मिश्र के अघोरी चालीसा से हुआ। तत्पश्चात पं साजन मिश्र ने राग झिँझोटी में हे महादेव महेश्वर जटाजूट त्रिनैन भोलेनाथ सुनाया। तत्पश्चात हे माँ बसंत आयो री सुनाया। भजन चलो वृन्दावन की ओर प्रेम का रस जहां छलके हैं कृष्ण नाम का भोर पर पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।
उनके साथ तबले पर पं संजू सहाय, सारंगी पर विनायक सहाय हारमोनियम पर पं धर्मनाथ मिश्र ने संगत की।
कार्यक्रम के अंत में विशाल कृष्ण के कत्थक नृत्य ने सभी के मन को मोह लिया। उन्होंने कत्थक नृत्य की शुरुआत शिव वंदना शंकर महादेव देव से की। जब उन्होंने तीन ताल में होरी डरूंगी नन्द के लालन पे प्रस्तुति पर पूरा सभागार होली मय हो गया जिसपर खूब तालियां बजी।
उनके साथ गायन पर त्रिलोकी नाथ मिश्र, तबले पर उदय शंकर मिश्र एवं सितार पर नीरज मिश्र ने संगत किया।
स्पिक मैके की स्टेट कोर्डिनेटर डॉ मधु शुक्ला और लेफ्टिनेंट डॉ. देवेंद्र कुमार चौहान ने सभी कलाकारों को अंगवस्त्रम ओढ़ा कर सम्मानित किया।
कार्यक्रम की रूपरेखा सिडबी के सीजेएम डॉ आरके सिंह विषय प्रवर्तन सीएमडी एस. रमण, संचालन सौरभ चक्रवर्ती एवं धन्यवाद ज्ञापन स्पिक मैके के चेयर पर्सन उमेश चंद्र सेठ ने व्यक्त किया। उक्त अवसर पर प्रमुख रूप से पं कामेश्वर नाथ मिश्र, पद्मश्री रजनीकांत, प्रो.शारदा वेलंकर, विदुषी प्रो. कमला शंकर, प्रो. प्रवीण उद्धव, प्रो. संगीता घोष, पं कुबेर नाथ मिश्र का अंगवस्त्रम प्रदान कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में कला प्रकाश के अशोक कपूर, स्पिक मैके की डॉ नीरजा शुक्ला, डॉ शुभा सक्सेना, डॉ विभा सिंह,मेदना कश्यप, सुदेशना जी, सलोनी पाण्डेय,डॉ समरेंद्र सिंह,पवन सिंह, श्रेयस सहित काशी के संगीत से जुड़े कलाकार, संगीत प्रेमी विद्यार्थियों सहित विभिन्न स्कूल कॉलेज के प्राचार्य एवं शिक्षकगण उपस्थित रहें।

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