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वाराणसी

रवींद्रपुरी की छह लेन में भूले सीवर कनेक्शन, जलनिकासी बनी संकट

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नगर निगम की लापरवाही उजागर

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में एक बार फिर जिम्मेदारों की लापरवाही उजागर हुई है। मिली जानकरी के मुताबिक, शहर के पॉश इलाकों में शुमार रवींद्रपुरी की छह गलियों में करीब 60 मकानों को आज तक सीवर से जोड़ा ही नहीं गया। इसका खामियाजा यहां के निवासियों को बारिश में जलजमाव और बदबू के रूप में उठाना पड़ रहा है।

स्थानीय लोगों की लगातार शिकायतों के बावजूद अब तक व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो सकी है। जलकल विभाग ने जल निगम के अधिशासी अभियंता को पत्र भेजकर जल्द कार्यवाही की मांग की है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि मुख्य पाइपलाइन तो बिछा दी गई है, लेकिन उससे गलियों और मुख्य सड़क के मकानों को जोड़ा नहीं गया है।

स्थानीय रवींद्रपुरी कल्याण समिति की मांगों और विरोध के बाद सीवर लाइन पास तो कर दी गई, लेकिन पहले ठेकेदार ने काम अधूरा छोड़ दिया और भाग गया। बाद में दूसरा ठेकेदार केवल मुख्य पाइप डालकर चलता बना। इस बीच, अगर लोक निर्माण विभाग (PWD) सड़क का निर्माण करा देता है, तो लोगों को डर है कि आने वाले वर्षों तक उन्हें सीवर ओवरफ्लो की समस्या से जूझना पड़ेगा।

नगर निगम के अधिकारी पहले ही निरीक्षण कर जिम्मेदारों को निर्देश दे चुके हैं। खुद मेयर अशोक कुमार तिवारी ने भी बैठक में जलकल के महाप्रबंधक को कार्य पूरा कराने की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।

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इसी के साथ, आदमपुर जोन के अमरपुर बटलोहिया मोहल्ले में डोर-टू-डोर कूड़ा नहीं उठाया जा रहा है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की जिम्मेदारी होते हुए भी कूड़े के ढेर गली-मोहल्लों में पड़े हैं। राजघाट, प्रह्लाद घाट और सेवई मंडी जैसे कई इलाके भी सफाई व्यवस्था के संकट से जूझ रहे हैं।

स्थानीय निवासियों ने बताया कि सीवर लाइनें टूटी हुई हैं और सफाईकर्मी मलबा निकालकर गली में ही छोड़ देते हैं। जल निगम और नगर निगम की आपसी असमंजस और ठेकेदारों की गैरजिम्मेदारी का खामियाजा अब आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।

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