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वाराणसी

मोबाइल की लत से मानसिक अस्पताल पहुंच रहे बच्चे, सोचने-समझने की क्षमता हो रही खत्म

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रील और गेम्स की लत ने बिगाड़ा बच्चों का मानसिक संतुलन, परिवार भी परेशान

वाराणसी। मोबाइल की लत अब बीमारी बनती जा रही है। वाराणसी के पांडेयपुर स्थित मानसिक अस्पताल में रोजाना 500 मरीज ओपीडी में आ रहे हैं, जिनमें 50 से 70 मरीज ऐसे हैं जो मोबाइल एडिक्शन के कारण सोचने और समझने की क्षमता खो चुके हैं। अस्पताल के निदेशक डॉ. चंद्रप्रकाश मल्ल के अनुसार, अब तक 500 से अधिक मरीजों का इलाज काउंसलिंग के माध्यम से किया जा चुका है। डॉक्टर इलाज के दौरान मरीजों से यह जानने का प्रयास करते हैं कि वह दिनभर का समय कैसे और कहां बिता रहे हैं।

चौबेपुर के एक व्यापारी का छह साल का बेटा मोबाइल की लत के चलते बोलने और समझने में असमर्थ हो गया था। माता-पिता के समय न दे पाने के कारण बच्चा मानसिक परेशानी का शिकार हो गया था। छह महीने की काउंसलिंग के बाद बच्चा ठीक हो सका। वहीं चंदौली के एक वकील का 10 वर्षीय बेटा भी मोबाइल गेम्स की लत से पीड़ित था। ज्यादा खेलने के कारण उसकी याद्दाश्त कमजोर हो गई थी। काउंसलिंग और मोबाइल का प्रयोग कम करने से अब वह सामान्य हो रहा है।

डॉ. चंद्रप्रकाश मल्ल का कहना है कि अधिकतर शिकायतें बच्चों में आ रही हैं। इसका बड़ा कारण एकाकी परिवार है, जहां माता-पिता बच्चों को समय नहीं दे पा रहे। बच्चों को रील और गेम्स देखने की लत लग रही है। काउंसलिंग के साथ सजगता और जागरूकता ही इसका इलाज है।

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