धर्म-कर्म
मुक्तिधाम काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव और दंडपाणी दर्शन जहां बाबा को मिली थी, ब्रह्म हत्या से मुक्ति
बाबा काल भैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है! धार्मिक मान्यता के अनुसार इस शहर में भैरव बाबा की ही चलती है! शिव पुराण के अनुसार एक बार ब्रह्मा विष्णु महेश के बीच में बहस हो गई थी और इसी बीच ब्रह्मा जी ने शिवजी की निंदा कर दी थी! जिससे क्रोध के कारण शिव जी के अंदर से एक विकराल रूप प्रकट हुआ जो शिव के समान नीले रंग का था! काल भैरव ने भगवान शिव के अपमान का बदला लेने हेतु ब्रह्मा जी का पांचवा सर काट दिया! जिसके कारण उन पर ब्रह्म हत्या का दोष लग गया !

इस हत्या से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव ने प्रायश्चित के रूप मे काल भैरव को त्रिलोक का भ्रमण करने को कहा पर उन्हें मुक्ति नहीं मिली ! उसके पश्चात विष्णु भगवान जी के कहने पर वह काशी आए और काशी की सीमा पर प्रवेश करते ही उनके हाथ से ब्रह्मा जी का कटा हुआ सिर छूट गया और हत्या ने पीछा छोड़ दिया!
तब से बाबा काल भैरव काशी में ही निवास करते हैं और शिव जी ने उन्हें काशी का कोतवाल नियुक्त किया है! आज भी काशी के काल भैरव मंदिर में उनका कटा हुआ सर नवग्रह के परिसर में स्थित है, बाबा काल भैरव की ऐसी मान्यता है कि यहां के लोगों को यमराज दंड नहीं देते स्वयं काल भैरव काशी वासियों को दंड देते हैं!यहां दंण्डपाणि का भी मंदिर हैं भगवान भोलेनाथ ने इन्हें काशी का प्रशासक नियुक्त किया था ! काशी में इनकी मर्जी के बिना कोई नहीं आता! इन्हें काशी के दण्डक के रूप में जाना जाता है!