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गोरखपुर

मां लक्ष्मी–गणेश–सरस्वती की प्रतिमाओं की भावभीनी विदाई, गूंजे जयकारे

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गोरखपुर। जनपद के दक्षिणांचल क्षेत्र खजनी, सेमरडाडी, साखडाड, पांडेय, सतुआभार तथा आसपास के गांवों में दीपावली के बाद देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का विसर्जन बड़े ही श्रद्धा और भक्ति भाव से किया गया। मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और मां सरस्वती की प्रतिमाओं को जब विदाई दी गई, तो वातावरण भावनाओं से भर गया — हर ओर “जय माता दी” और “गणपति बप्पा मोरया” के गगनभेदी जयकारे गूंज उठे।

दीपावली पर्व के दौरान पूरे दक्षिणांचल में भक्तों ने मां भगवती, लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती का विशेष पूजन-अर्चन कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आशीर्वाद मांगा था। घर-घर दीपों की श्रृंखला, रंगोली और सुगंधित पुष्पों से सजे मंदिरों में श्रद्धा का माहौल चरम पर था। अब जब विदाई का क्षण आया, तो लोगों की आंखें नम हो उठीं। महिलाओं ने थाल में अक्षत, पुष्प और दीप लिए देवी-देवताओं के चरणों में अर्पित किए, वहीं बच्चों और बुजुर्गों ने एक साथ मिलकर विसर्जन यात्रा निकाली।

सेमरडाडी गांव में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। गांव के प्रधान और स्थानीय लोगों के नेतृत्व में भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें ढोल-नगाड़े, शंखनाद और जयकारों की गूंज ने पूरा वातावरण भक्तिमय बना दिया। साखडाड में भी भक्तों ने मां लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमाओं का पूजन कर गंगा जल से विसर्जन किया।

पांडेय गांव में इस मौके पर महिलाओं ने पारंपरिक गीतों के साथ देवी की विदाई की रस्म निभाई। गांव की बुजुर्ग महिलाएं “चलल बटोहिन माई, फिर अइब ना जल्दी” जैसे भक्ति गीतों से वातावरण को भावनाओं से भरती रहीं। सतुआभार और खजनी बाजार क्षेत्र में युवाओं ने शोभायात्रा में उत्साहपूर्वक भाग लिया, जगह-जगह प्रसाद वितरण किया गया और मां लक्ष्मी की आरती से पूरा क्षेत्र आलोकित हो उठा।

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दीपावली पर्व का यह समापन दृश्य केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि गांवों की सामूहिक श्रद्धा, एकता और परंपरा का प्रतीक बन गया। जहां एक ओर श्रद्धालु मां लक्ष्मी से समृद्धि की कामना करते दिखे, वहीं दूसरी ओर गणेश जी से विघ्न विनाश और सरस्वती मां से विद्या का वरदान मांगा।

खजनी और आसपास के गांवों में जब प्रतिमाओं का विसर्जन हुआ, तो हर किसी की जुबान पर यही शब्द थे —

“मां लक्ष्मी फिर जल्दी आवऽ,
घर-आंगन सुख-समृद्धि से भरि दऽ।”

इस भावनात्मक विदाई ने पूरे दक्षिणांचल को एक बार फिर धार्मिक आस्था और संस्कृति के रंग में रंग दिया। श्रद्धालुओं ने यह संकल्प लिया कि अगले वर्ष और भी अधिक भव्यता, एकता और श्रद्धा के साथ मां भगवती लक्ष्मी गणेश सरस्वती का स्वागत करेंगे।

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