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वाराणसी

‘महाराज’ फिल्म को लेकर काशी के धर्मगुरूओं में आक्रोश, PMO कार्यालय में सौंपा ज्ञापन

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फिल्म को‌ बैन करने की मांग

वाराणसी। ओटीटी प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स पर प्रसारित हो रही फिल्म ‘महाराज’ से काशी के धर्मगुरूओं में आक्रोश फैल गया है। सबने इसे सनातन धर्म की गुरु-शिष्य परंपरा को कुठाराघात पहुंचाने का षड्यंत्र बताया है। फिल्म से आमिर खान के बेटे जुनैद खान डेब्यू कर रहे हैं। धर्मगुरूओं ने इस फिल्म के प्रसारण पर अविलंब रोक लगाने और धर्म पर विचार करने के लिए एक अलग से धार्मिक सेंसर बोर्ड बनाये जाने की मांग की है।

इसे लेकर बुधवार को गोपाल मंदिर के प्रांगण में षष्ठपीठाधीश्वर श्याम मनोहर महाराज के नेतृत्व में गुजराती समाज व शहर के अन्य समाज के पदाधिकारियों ने साथ मिलकर गोलघर पर अपना आक्रोश व्यक्त किया और जमकर प्रदर्शन किया। सभी लोगों ने प्रधानमंत्री ऑफिस जाकर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन कार्यालय प्रभारी शिवनारायण पाठक को दिया।

इस मुद्दे पर बात करते हुए श्री श्री 1008 श्याम मनोहर महाराज ने कहा कि हमारे सनातन धर्म के विरोध में जो फिल्म ‘महाराज’ रिलीज हुई है, उसी के विरोध में हम आज सडकों पर उतरे हैं। इसके माध्यम से हमारी आगे की पीढ़ी बहुत बिगड़ रही। वह सनातन का विरोध कर रहे। इस प्रकार के फिल्म के रिलीज होते ही कई सारी घटनाएँ सामने आई है और इसीलिए इस प्रकार के पिक्चर के लिए एक सिर्फ सेंसर बोर्ड नहीं बल्कि अलग धर्म का सेसर बोर्ड बने जो प्रत्येक धर्म के लिए समानता से विचार रख सके।

क्यों सिर्फ हमारे हिंदू धर्म को टारगेट किया जाता है-

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बृज किशोर दासवैष्णव संप्रदाय के बृज किशोर दास ने इस कंट्रोवर्सी पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, आज सभी समाज के लोग यहाँ इसीलिए एकत्रित हुई हैं क्योंकि फिल्मों में हमारे सनातन संस्कृति को तोड़-मरोड़ कर गलत ढंग से सभी के सामने पेश किया जा रहा है। इससे पहले भी बॉलीवुड की कई फिल्मों और वेब सीरीज में हिंदू धर्म के खिलाफ हमेशा से गलत दिखाया गया है। ये उचित नहीं हैं और इसीलिए हमारी यह मांग है कि एक धार्मिक सेंसर बोर्ड बने ताकि हमारे धर्म को लेकर कोई गलत मेसेज ना जाये और हमारी आने वाली पीढ़ी सनातन धर्म को अच्छे से समझ सके। पिछले साल रिलीज हुई आदिपुरुष फिल्म में भी हिंदू संस्कृति और रामायण का गलत चित्रण पेश किया था।

उन्होंने यह भी कहा कि आखिर सिर्फ सनातन धर्म पर ही फ़िल्में क्यों बनती हैं क्यों नहीं अन्य धर्म पर बनती हैं। उनके भी तो कई मुद्दे हैं जैसे तीन तलाक, हलाला आदि उन्हें क्यों नहीं दिखाया जाता ? क्यों सिर्फ हिंदू धर्म को ही ये लोग टारगेट करते हैं। आज हम इसी का विरोध करते हैं और यह मांग करते हैं सभी धर्मानुलम्बियों से युक्त एक अन्य सेंसर बोर्ड बनाया जाये।

एक अलग से धार्मिक सेंसर बोर्ड का होना चाहिए गठन- आलोक पारीख

आलोक पारीख ने बताया कि ये पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी हमारे सनातन धर्म को तोड़ने व उसके भवनों को खंडित करने का प्रयास किया जाता है। लेकिन महाराज ने इन सभी सीमाओं को पार कर दिया है। इसी के विरोध में हम आज प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचे हैं और हम मांग करते हैं कि जिस प्रकार से अन्य चीजों के लिए सेंसर बोर्ड है, वैसी ही धार्मिक सेंसर बोर्ड भी बने ताकि इसपर निष्पक्ष विचार हो सके। अगर हमारी मांग पूरी नहीं होती हैं तो आगे भी लड़ाई जारी रहेगी।

विरोध करने वालों में मुख्य रूप से आलोक पारिख, रौशन गुजराती, अजय अग्रवाल, मनोज मुनीम, गोपी कृष्ण, और शहर के तमाम समाज जिनमें माहेश्वरी समाज, गुजराती समाज, अग्रवाल समाज और अन्य के लोग शामिल रहें।

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