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वाराणसी

मलेरिया उन्मूलन की ओर बढ़ता वाराणसी, प्रभावी रणनीति व कार्यवाई की अहम भूमिका : सीएमओ

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समय पर जांच, उपचार, नियंत्रण व रोकथाम से मलेरिया का बचाव सम्भव

साल दर साल बढ़ रही मलेरिया जांच की संख्या और कम हो रहे मरीज

विश्व मलेरिया दिवस पर गुरुवार को जिले की समस्त पीएचसी व सीएचसी पर विशेष गोष्ठी का आयोजन, जन जागरूकता रैली आदि के साथ ही स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाएंगे

वाराणसी। वर्ष 2030 तक मलेरिया उन्मूलन की दिशा में जनपद लगातार बढ़ रहा है। मलेरिया रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रभावी रणनीति व कार्यवाई कर रहा है। इसी का परिणाम है कि जनपद में साल दर साल मलेरिया की जांच की संख्या बढ़ी है और मरीजों की संख्या में काफी कमी आई है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में जनपद में मलेरिया के 406 मरीज पाये गए थे लेकिन पिछले वर्ष सिर्फ 27 मरीज पाये गए। जनपद में संचारी व मच्छर जनित रोग नियंत्रण अभियान के साथ-साथ विभिन्न गतिविधियों, प्रचार-प्रसार की वजह से मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। इसी उद्देश्य से हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने दी।

सीएमओ ने बताया कि, इस बार दिवस की थीम “अधिक न्यायसंगत दुनिया के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाना” रखी गई है। मलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण व रोकथाम के लिए आशा कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने के साथ ही साथ रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) किट के माध्यम से मलेरिया की जांच कर रही हैं। ओपीडी के दौरान बुखार ग्रसित सभी रोगियों की मलेरिया की जांच की जा रही है। स्वास्थ्य कैंप के जरिये मलेरिया के मरीज चिन्हित किए जा रहे हैं। इसके अलावा हॉट स्पॉट क्षेत्रों में कोंट्रेक्ट ट्रेसिंग पर भी ज़ोर दिया जा रहा है।

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एसीएमओ व नोडल अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि, सभी सीएचसी, पीएचसी व आयुष्मान आरोग्य मंदिर के सीएचओ को निर्देशित किया गया है कि समय पर मलेरिया की जांच व पहचान कर मरीज को निर्धारित समय तक उपचार दिया जाये। इसके लिए समस्त 212 सीएचओ व 2633 आशाओं को प्रशिक्षित किया गया है। मलेरिया की जांच व उपचार की सुविधा जिला मुख्यालय के अलावा सभी शहरी व ग्रामीण सीएचसी, पीएचसी, आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर उपलब्ध है। सही समय पर निदान उपचार होने से रोगी पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है।

जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पाण्डेय ने बताया कि, जनपद की आबादी के अनुसार मच्छरों का घनत्व जितना कम होगा मलेरिया से उतने ही अधिक सुरक्षित होंगे। वर्तमान में सभी हॉटस्पॉट में हाउस इंडेक्स एक से कम है जो सामान्य स्थिति में है। लेकिन बारिश के मौसम और सामान्य ठंड में हाउस इंडेक्स बढ़ने लगता है, क्योंकि इन्हीं मौसम में लार्वा अधिक पनपते हैं। लार्वा न पनपे, इसके लिए प्रत्येक स्तर पर कार्यवाई की जा रही है। इसमें स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ नगर निगम, पंचायती राज, सिंचाई, जल निगम एवं जलकल विभाग समन्वय बनाकर कार्यवाई कर रहे हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों के प्रजनन स्रोतों को नष्ट किया जा रहा है। मलेरिया व डेंगू के लिए पूर्व से चिन्हित ग्रामीण के 27 व शहर के 34 हॉटस्पॉट क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। एंटी लार्वा का छिड़काव तथा फागिंग भी करायी जा रही है।

डीएमओ ने बताया कि, मलेरिया का प्रसार मादा एनोफिलीस मच्छर के काटने से होता है। एक अंडे से मच्छर बनने की प्रक्रिया में पूरा एक सप्ताह का समय लगता है। मलेरिया हो जाने पर रोगी को ठंड देकर नियमित अंतराल पर बुखार आना, सिरदर्द, उल्टी, पेट में दर्द, रक्त अल्पता, मांस पेशियों में दर्द, अत्यधिक पसीना आना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। समय से जांच व उपचार मिलने पर रोगी पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है। उपचार के दौरान ध्यान रखें कि स्वस्थ भोजन खाएं, शरीर में पानी की कमी न होने दें, प्रोटीन युक्त आहार लें, वसायुक्त मसालेदार भोजन न करें, उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ और कैफीन युक्त पेय का सेवन न करें।

एक नजर आंकड़ों पर – जनपद में पिछले सात वर्षों में मलेरिया के स्थिति की बाते करें तो वर्ष 2017 में 406, वर्ष 2018 में 340, वर्ष 2019 में 271, वर्ष 2020 में 46, वर्ष 2021 में 164, वर्ष 2022 में 78, वर्ष 2023 में 26 और वर्ष 2024 में अब तक सिर्फ एक मलेरिया रोगी पाया गया। इसके अलावा वर्ष 2022 में 1.16 लाख जबकि वर्ष 2023 में 1.67 लाख मलेरिया जांच की गईं। इस साल अब तक 43,503 जांच की गईं।

मलेरिया से इस तरह करें बचाव – सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग । आसपास दूषित पानी इकट्ठा न होने दें । साफ-सफाई रखें । बुखार होने पर तुरंत अच्छे डॉक्टर को दिखाएं । जलपात्र को सप्ताह में एक बार जरूर खाली कर दें जैसे कूलर, गमला, टीन का डिब्बा, नारियल का खोल, डिब्बा, फ्रीज के पीछे का डीफ्रास्ट ट्रे आदि।

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