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वाराणसी

मणिकर्णिका घाट पर शवदाह बना चुनौती, लकड़ी और नाव के किराए में बढ़ोतरी

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वाराणसी। गंगा का बढ़ता जलस्तर वाराणसी के घाटों पर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा है। जिले के छह प्रमुख शवदाह घाट जलमग्न हो चुके हैं, जिससे केवल मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट ही शेष रह गए हैं। इन दोनों घाटों पर लोगों को घंटों घुटने भर पानी में खड़े होकर शवदाह की बारी का इंतजार करना पड़ रहा है।

मणिकर्णिका घाट पर बाहर से आने वाले परिजनों को पांच-पांच घंटे तक शव लेकर इंतजार करना पड़ रहा है। गंगा का पानी सतुआ बाबा आश्रम तक पहुंच चुका है, जिसके कारण शवों को गलियों से नाव के सहारे घाट तक पहुंचाया जा रहा है। प्रशासन ने एक बार में सिर्फ पांच परिजनों को ही शव के साथ घाट तक जाने की अनुमति दी है। इस व्यवस्था के चलते यात्री लंबा इंतजार करने को मजबूर हैं।

बाढ़ के कारण लकड़ी और नाव के भाड़े में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। आम दिनों में जहां लकड़ी का दाम 600–700 रुपये प्रति मन था, वहीं अब यह 1000–1200 रुपये प्रति मन तक पहुंच गया है। नाविक भी शवदाह स्थलों तक ले जाने के लिए मनमाना किराया वसूल रहे हैं। अब एक सामान्य अंतिम संस्कार में जहां पहले 5000 रुपये का खर्च आता था, वह बढ़कर 12 से 15 हजार रुपये तक पहुंच चुका है।

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हरिश्चंद्र घाट पर गलियों में शवदाह हो रहा है, जिससे वहां भी भीड़ और अव्यवस्था बनी हुई है। कई लोगों ने प्रशासन पर मनमानी वसूली की शिकायतें की हैं। जौनपुर से आए एक व्यक्ति ने बताया कि वे पिछले पांच घंटे से घुटने भर पानी में खड़े हैं और अब भी उनकी बारी नहीं आई है। चेतगंज के निवासी जितेंद्र चौरसिया ने कहा कि हर परिजन से अलग-अलग पैसे वसूल किए जा रहे हैं, जो बेहद अन्यायपूर्ण है।

बाढ़ की इस स्थिति में विदेशी पर्यटक भी शोषण के शिकार हो रहे हैं। कुछ नाविक उन्हें शवदाह स्थल दिखाने के नाम पर भारी रकम वसूल रहे हैं। ऐसे में घाटों पर व्यवस्था बहाल करने और मनमानी रोकने के लिए प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग उठ रही है।

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