धर्म-कर्म
भगवान विष्णु ने स्वयं की थी आदि केशव और केशव आदित्य मंदिर की स्थापना
काशी का पौराणिक आदिकेशव घाट
काशी खंड के 61वें अध्याय के अनुसार आदि केशव मंदिर की मूर्ति स्वयं भगवान विष्णु ने बनाई थी। आदि केशव मंदिर का स्थान जहां भगवान विष्णु ने पहली बार काशी में पग रखे थे। यह आदि केशव घाट पर स्थित है जो गंगा और वरुणा नदी का संगम है। काशी पुराण के अनुसार, भगवान शिव के आदेश पर जब भगवान विष्णु काशी में आए तो सर्वप्रथम उनके चरण इसी स्थान पर पड़े थे। भगवान विष्णु ने स्वयं अपने चरण धोकर अपनी प्रतिमा इस स्थान पर स्थापित की जो आदि केशव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। तभी से यह स्थान पदोदक तीर्थ के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ।

इस स्थान के जल स्पर्श स्नान एवं जल ग्रहण करने से मनुष्य जन्म मरण से मुक्ति पा जाता है।आदि केशव मंदिर परिसर में ही आदि केशव मंदिर के अलावा तीन मंदिर और हैं ज्ञानेश्वर संगमेश्वर और पंच देवता संगमेश्वर लिंग की प्राण प्रतिष्ठा स्वयं भगवान आदि केशव ने की थी यही केशव आदित्य का भी मंदिर है। एक बार भगवान सूर्य आकाश में भ्रमण कर रहे थे। उन्होंने आदि केशव भगवान विष्णु को शिवलिंग की पूजा करते देखा भगवान सूर्य उत्सुक हो धरती आए और भगवान विष्णु से पूछा कि जब सारी दुनिया भगवान विष्णु को अंतरात्मा मानती हैं तो उनकी पूजा क्यो की जानी चाहिए ?

भगवान सूर्य की जिज्ञासा को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने उत्तर दिया कि, काशी क्षेत्र में भगवान शिव सर्वोत्तम भगवान है और शिवलिंग पूजा का विस्तार से वर्णन किया और बताया कि जो भक्त शिवलिंग का अभिषेक करता है तथा प्रसाद के रूप में जल ग्रहण करता है उसे सभी धार्मिक तीर्थो का पुण्य प्राप्त होता है।
भगवान विष्णु ने भगवान सूर्य को शिवलिंग की पूजा करने की सलाह दी। भगवान विष्णु जिन्हें केशव और भगवान सूर्य जो आदित्य के नाम से भी जाने जाते है। भगवान विष्णु द्वारा केशव आदित्य के मंदिर के रूप में स्थापित कर दिया।
