चन्दौली
भक्तों ने मां कूष्मांडा की पूजा कर मांगी सुख-समृद्धि की कामना

चंदौली। शारदीय नवरात्र के चतुर्थ दिवस गुरुवार को भक्तों ने मां कूष्मांडा की पूजा व उपासना की। मां कूष्मांडा की पूजा से सुख-समृद्धि और आरोग्य जीवन की प्राप्ति होती है। सृष्टि की उत्पत्ति करने वाली मां कूष्मांडा की आराधना से भक्तों के जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि बनी रहती है।
शारदीय नवरात्र का चौथा दिन देवी दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की उपासना के लिए समर्पित होता है। धर्मग्रंथों में मां कूष्मांडा को सृष्टि की आदिशक्ति व ब्रह्मांड की सृजक माना जाता है। मान्यता है कि माता ने अपनी मंद स्मित और दिव्य शक्ति से इस ब्रह्मांड की रचना की थी। इसी कारण इन्हें कूष्मांडा कहा जाता है।
धार्मिक ग्रंथ बताते हैं कि मां कूष्मांडा अष्टभुजा धारी हैं। उनके आठों हाथों में कमंडल, धनुष-बाण, चक्र, गदा, जपमाला, अमृत कलश, कमल और वरमुद्रा सुशोभित रहते हैं। देवी सिंह पर सवार होती हैं और उनके मुख पर प्रकट मधुर स्मित सम्पूर्ण सृष्टि के प्रकाश व ऊर्जा का प्रतीक है। पौराणिक कथा के अनुसार जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था और चारों ओर अंधकार का साम्राज्य था, तब मां कूष्मांडा ने अपने तेज और शक्ति से पूरे ब्रह्मांड का सृजन किया। इसी अद्भुत कार्य के कारण देवी को कूष्मांडा नाम से जाना जाता है।
कहा जाता है कि देवी ने सूर्य मण्डल में निवास कर जगत को प्रकाश व ऊर्जा प्रदान की। उनकी उपासना से भक्तों को स्वास्थ्य, तेज और दीर्घायु की प्राप्ति होती है। साथ ही उनकी कृपा से अज्ञान का नाश होता है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
नवरात्र के चौथे दिन भक्त प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और मां की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर आराधना करते हैं। देवी को बेलपत्र, गेंदा और मालती के पुष्प अर्पित किए जाते हैं। मां को मालपुए का भोग लगाने की परंपरा है। धार्मिक मान्यता है कि इस भोग से बुद्धि, स्वास्थ्य और आयु की वृद्धि होती है।
भक्तजन दुर्गा सप्तशती और आद्या स्तोत्र का पाठ करते हैं। “सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे॥
प्रातः पूजन : 06:10 से 08:30,
अभिजीत मुहूर्त : 11:55 से 12:45
संध्या दर्शन : 06:02 से 07:15 है। गुरुवार की सुबह नगर पंचायत स्थित देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रही। इस दौरान भक्तों ने आदिशक्ति मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की।