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मिर्ज़ापुर

भक्ति के साथ ज्ञान और वैराग्य भी आवश्यक : डॉ. ब्रह्मानंद

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मिर्जापुर। तिवराने टोला स्थित डॉ भवदेव पाण्डेय शोध संस्थान में आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह के प्रथम दिन व्यासपीठ से बोलते हुए सुप्रसिद्ध कथा वाचक डॉ ब्रह्मानंद शुक्ल ने भागवत महात्म्य पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने श्रद्धालुओं को बताया कि भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए केवल भक्ति ही नहीं, बल्कि ज्ञान और वैराग्य का संग भी अत्यंत आवश्यक है।

डॉ शुक्ल ने कहा कि विंध्य क्षेत्र, जहां योगमाया का धाम स्थित है, वहां श्रीमद्भागवत कथा सुनने का पुण्य अन्य किसी भी क्षेत्र से कहीं अधिक होता है। उन्होंने बताया कि जहां साकेत नगरी भगवान श्रीराम का धाम है और वृंदावन श्रीकृष्ण का, वहीं भक्तिभाव का असली क्षेत्र मां विंध्यवासिनी का मणिपुर क्षेत्र है, और यहीं ऐसी पुण्य कथाओं का आयोजन संभव होता है।

कथा वाचक ने विशेष रूप से यह भी कहा कि श्रीमद्भागवत केवल एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि यह सभी जातियों, धर्मों और वर्गों के लिए समान रूप से उपयोगी है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी कई बार उनकी कथा में शामिल होते हैं और कथा को सुनकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं।

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डॉ शुक्ल ने कथा की शुरुआत में देवर्षि नारद की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि नारद के पास वह शक्ति थी, जिससे वे बिना किसी अनुमति के नारायण, ब्रह्मा और शिव तक पहुंच सकते थे। कथा के दौरान उन्होंने एक प्रसंग साझा किया जिसमें नारद एक विलाप करती युवती के पास पहुंचे और युवती ने स्वयं को ‘भक्ति’ और अपने दोनों अचेत वृद्ध पुत्रों को ‘ज्ञान’ और ‘वैराग्य’ बताया। इससे यह स्पष्ट होता है कि केवल भक्ति पर्याप्त नहीं, जब तक वह ज्ञान और वैराग्य के साथ न हो।

कथा से पहले भव्य कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में नर-नारी शामिल हुए। अचानक आई आंधी और वर्षा को डॉ शुक्ल ने ‘प्रकृति देवी की कृपा’ बताया। कथा स्थल पर डॉ शुक्ल का स्वागत जेआरडी राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शिशिर पाण्डेय द्वारा किया गया।

डॉ शुक्ल ने गृहस्थ जीवन में रहने वाले लोगों से आग्रह किया कि वे अपने घर के आंगन में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन करें, जिससे उनकी आने वाली पीढ़ियाँ यशस्वी और संस्कारित बन सकें।

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