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वाराणसी

बोतल से दूध पिलाना बच्चे के लिए हो सकता है घातक

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• बच्चे को संक्रमण का रहता है खतरा
• इम्यून सिस्टम को करता है कमजोर
• गर्म दूध में बोतल से घुला रसायन भी होता है नुकसानदेह

रिपोर्ट – प्रदीप कुमार

वाराणसी: अनंता कालोनी निवासी अंजली एक निजी बैंक की कर्मचारी हैं। सवा साल के उनके पुत्र आयुष को एक माह के भीतर जब दूसरी बार डायरिया हुआ तो उन्होंने चिकित्सक से उपचार कराने के साथ ही बच्चे को बार-बार हो रहे संक्रमण की वजह जानना चाहा। डाक्टर ने बच्चे के खान-पान के पूरे विवरण को सुनने के बाद आशंका जताया कि संक्रमण की वजह बोतल से दूध पिलाना भी हो सकता है। दरअसल रात में बोतल में बचे दूध को अंजली भोर में शिशु के रोने पर पिला देती थीं । यही उसके संक्रमण का कारण बन जाता रहा। चिकित्सक की सलाह पर अंजली ने कटोरी-चम्मच से आयुष को दूध पिलाना शुरु किया अब वह पूरी तरह स्वस्थ है।
शिव प्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सीपी गुप्ता कहते हैं शिशु के लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार होता है। इसलिए छह माह तक नवजात को सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए। मां के दूध में मिलने वाले पोषक तत्व शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में मददगार होते हैं। वह कहते हैं कि शिशु के जन्म के छह माह के बाद कुछ मामलों में मां के दूध में कमी होने या फिर मां का दूध न बनने पर बच्चों को बाहर का दूध कटोरी-चम्मच की मदद से पिलाने की सलाह दी जाती है। चिकित्सकों की इस सलाह को नजरअंदाज कर कई महिलाएं अपने बच्चे को बोतल से दूध पिलाती है। नतीजा होता है कि ऐसे बच्चों को डायरिया के साथ ही अन्य कई तरह की बीमारियों का खतरा होता है। डॉ. गुप्त बताते हैं कि उनकी ओपीडी में हर रोज डायरिया से पीड़ित 30-40 बच्चे आते हैं। वैसे तो बच्चों में डायरिया के कई कारण होते हैं लेकिन इसकी सबसे बड़ी वजह बोतल से दूध पिलाना होता है। दरअसल दूध के बोतल के रखरखाव में आमतौर पर लापरवाही हो ही जाती है। निपल के ऊपर लगने वाला कैप अधिकतर खुला ही छूट जाता है। कई बार बिस्तर या जमीन पर गिरे बोतल को उठाकर शिशु के मुंह में पुनः लगा दिया जाता है। बोतल में बचे दूध में कुछ देर बाद और दूध मिलाकर शिशु को पिला दिया जाता है। बोतल को ठीक से उबालने में भी लापरवाही हो जाती है। ऐसे ही बोतल के निपल से चिपके छोटे-छोटे कीटाणु बच्चे के शरीर में जाकर उसे संक्रमित कर देते है और बच्चा डायरिया का शिकार हो जाता है।
डा. गुप्ता बताते हैं कि बोतल के दूध में ऐसे हानिकारक तत्व पाए जाते हैं जो बच्चे की सेहत को नुकसान कर सकते हैं। दरअसल बोतल और उसमें लगने वाला निप्पल पॉलीप्रोलीन से बनाया जाता है। दुनिया में हुए शोध में यह तथ्य सामने आ चुका है कि शिशु के बोतल में जब गर्म दूध डाला जाता है तो इसमें से माइक्रोप्लास्टिक रिलीज होता है जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। यह बच्चे के इम्यून सिस्टम को भी कमजोर कर देता है। इतना ही नहीं कई बार महिलाएं शिशु के मुंह में खाली बोतल छोड़ देती हैं। दूध खत्म होने के बाद यदि बोतल मुंह में रहने से बच्चे को सांस लेने में समस्या हो सकती है। इससे बच्चे का दम घुट सकता है। डॉ. गुप्ता कहते हैं इन सभी परेशानियों से बचने के लिए बच्चे को बोतल से दूध पिलाना बंद कर देना चाहिए। बच्चे को कटोरी-चम्मच से दूध पिलाना चाहिए। इससे बच्चा स्वस्थ रहेगा और उसे डायरिया जैसे संक्रमण होने की आशंका कम रहेगी।

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