वाराणसी
बेटी से दुष्कर्म के दोषी पिता को कोर्ट ने सुनाई सजा
मां के पलटने के बावजूद पीड़िता नहीं हारी हिम्मत
वाराणसी। नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के एक जघन्य मामले में विशेष न्यायाधीश द्वितीय (पॉक्सो एक्ट), नितिन पांडेय ने लोहता निवासी दोषी सरफराज अहमद को 20 वर्ष के कठोर कारावास और 10,000 रुपये के जुर्माने की सज़ा सुनाई है। जुर्माना न देने पर दोषी को एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। अदालत ने जुर्माने की आधी धनराशि पीड़िता को बतौर प्रतिकर (मुआवजा) देने का आदेश दिया है।
अभियोजन पक्ष की पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक संतोष कुमार सिंह ने बताया कि सरफराज अहमद ने 26 मार्च 2019 को अपनी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म किया था। पीड़िता की मां की शिकायत पर लोहता पुलिस ने 9 मई 2019 को सरफराज अहमद के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज किया और आरोपपत्र दाखिल किया।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान पीड़िता अपने बयान पर अंत तक कायम रही और उसने अदालत में सारी आपबीती सुनाई। हालांकि, पीड़िता की मां (वादी) ने बाद में विवेचक और मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए अपने बयान से मुकर गई, जिसके चलते अदालत ने उसे पक्षद्रोही घोषित कर दिया।
इसके बावजूद, पीड़िता के दृढ़ बयान, अन्य अभियोजन गवाहों के साक्ष्य और मेडिकल जांच रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने सरफराज अहमद को दोषी पाया और उसे कठोरतम दंड से दंडित किया।
पीड़िता की मां ने पति के खिलाफ कार्रवाई के लिए 15 अप्रैल 2019 को न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) में प्रार्थना पत्र दिया था। इससे नाराज़ सरफराज अहमद और उसके भाइयों ने मुकदमा वापस लेने की धमकी दी।
5 मई 2019 की रात जब पीड़िता की मां बच्चों के साथ सो रही थी, तब सरफराज अहमद, उसके भाइयों और साथियों ने उसे कमरे से बाहर निकाला। आरोप है कि मुकदमा वापस न लेने पर अंजाम भुगतने की धमकी देते हुए उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म भी किया गया। पीड़िता की मां की तहरीर पर सरफराज समेत 6 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था, लेकिन सुनवाई के दौरान वादिनी (मां) अपने बयान से पलट गईं।
अदालत ने वादिनी के पक्षद्रोही होने पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए उसके खिलाफ प्रकीर्णवाद दर्ज करने का आदेश दिया और सुनवाई के लिए 13 दिसंबर की तारीख मुकर्रर की है।
