गाजीपुर
बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जी रहे हैं ग्रामीणवासी

बहरियाबाद (गाजीपुर)। जिले के बहरियाबाद स्थित मातृ शिशु कल्याण उप-केंद्र अपनी दुर्दशा के चलते स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में आंसू बहा रहा है। आराजी कस्बा स्वाद (बहरियाबाद) में लगभग चार दशक पहले इस उप-केंद्र का निर्माण कराया गया था। इस उप-केंद्र पर क्षेत्र के करीब पांच दर्जन गांवों से इलाज कराने हेतु ग्रामीण महिलाओं का आना-जाना होता था।
पुराना उप-केंद्र एकदम जर्जर स्थिति में होने के कारण इसमें कोई भी स्वास्थ्य संबंधी कार्य नहीं होता है, बल्कि इस उप-केंद्र का अतिक्रमण व ग्रामीण लोगों का बसेरा बन चुका है। पुराना उप-केंद्र आधा से अधिक गिर गया है तथा शेष गिरने के कगार पर पहुंच चुका है। समय रहते पुराने उप-केंद्र को गिराया नहीं गया तो भविष्य में कोई दुर्घटना होने का डर सता रहा है।
इसे देखते हुए शासन द्वारा नया उप-केंद्र बनाने का प्रस्ताव पास होने के बाद लगभग दो-तीन वर्ष पहले नया उप-केंद्र घटिया क्वालिटी के मटेरियल का उपयोग करके आधा-अधूरा बनाकर छोड़ दिया गया है। आलम यह है कि नए उप-केंद्र के अंदर घास-फूस उग गया है तथा इसका मुख्य गेट, खिड़कियों में जंग लग जाने से और लावारिस स्थिति में होने के कारण इस उप-केंद्र का पूर्ण रूप से न बन पाना शासन के विकास कार्यों का पोल खोल रहा है।
बाउंड्री वॉल न होने के कारण आवारा पशुओं का जमावड़ा दिन-रात लगा रहता है, जिससे पूरे उप-केंद्र में गंदगी पसरी हुई है। पास ही में आयुष्मान आरोग्य उप-केंद्र स्थित है। ग्रामीणों का कहना है कि पूरे उप-केंद्र की बाउंड्री वॉल की जाए ताकि भविष्य में इस उप-केंद्र पर तैनात डॉक्टरों की टीम को कोई असुविधा न हो।
इस क्षेत्र में मात्र एक उप-केंद्र होने के कारण गंभीर बीमारी होने पर ग्रामीण रोगियों को मिर्जापुर, सैदपुर, वाराणसी जाना भारी पड़ता है, जिससे ग्रामीण अंचलों के मरीजों की दुर्दशा होने के साथ-साथ भारी-भरकम पैसे का दुरुपयोग होता है। बहुत चर्चित बहरियाबाद मातृ शिशु कल्याण उप-केंद्र का अभी तक पूर्ण रूप से न बन पाना जांच का विषय बना हुआ है।
इस समय इस उप-केंद्र पर किसी डॉक्टर की तैनाती न होने से मरीजों को स्वास्थ्य लाभ के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है, जिससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि इस उप-केंद्र को सुसज्जित बनाकर इस पर जल्द डॉक्टर की तैनाती की जाए। ग्रामीणों ने राज्य सरकार से मांग की है कि इस उप-केंद्र की दुर्दशा को ठीक करके ग्रामीण जनता के मरीजों को चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जाए। क्षेत्र के अधिकतर गांवों के मरीज इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं।