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चन्दौली

बीएसए कार्यालय पर उठे सवाल, अभिभावकों ने की बकाया भुगतान और जांच की मांग

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चंदौली। प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में बड़े स्तर पर निवेश किया जा रहा है, ताकि हर वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। गरीब बच्चों को भी कान्वेंट स्कूलों में शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से ‘अनिवार्य शिक्षा’ (Right to Education – RTE) योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों का चयन लॉटरी के माध्यम से कान्वेंट स्कूलों में किया जाता है, और उनकी फीस का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है। इसके अलावा, बच्चों की कॉपी-किताबें, यूनिफॉर्म और जूते आदि की धनराशि भी अभिभावकों के बैंक खातों में सीधे भेजी जाती है।

कोरोना काल से नहीं मिला भुगतान

हालांकि, चंदौली जिले में इस योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) कार्यालय में तैनात कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण, अभिभावकों को विगत कोरोना काल से अब तक का भुगतान नहीं किया गया है। इससे हजारों गरीब परिवार परेशान हैं और बच्चों की शिक्षा बाधित हो रही है।

अभिभावकों ने इस समस्या को कई बार बीएसए कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के सामने रखा, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिलता रहा। कई बार शिकायतें दर्ज कराई गईं, लेकिन अधिकारी टालमटोल करते रहे।

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सरकारी निर्देशों की हो रही अनदेखी

सरकार द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि प्रत्येक वर्ष अभिभावकों के खातों में सहायता राशि भेजी जाए, ताकि वे बच्चों की शिक्षा से जुड़े खर्चों को वहन कर सकें। इसके बावजूद, बीएसए कार्यालय में वर्षों से तैनात बाबू और लिपिक भ्रष्टाचार में लिप्त नजर आ रहे हैं। अभिभावकों का आरोप है कि इन कर्मचारियों की लापरवाही से गरीब बच्चों को मिलने वाली राशि रोक दी गई है, जिससे सरकार की मंशा पर भी पानी फिर रहा है और उसकी छवि धूमिल हो रही है।

नवागत बीएसए की तत्परता, लेकिन पुराना भुगतान अब भी लंबित

हालांकि, हाल ही में नियुक्त हुए बीएसए की सक्रियता से इस वर्ष नए सत्र की शुरुआत से पहले अभिभावकों के खातों में पैसे भेजे गए हैं। लेकिन पिछले पांच वर्षों विशेष रूप से कोरोना काल के दौरान और उसके बाद का लंबित भुगतान अब तक जारी नहीं किया गया है।

अभिभावकों की मांग—हो भ्रष्टाचार की जांच, मिले बकाया भुगतान

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इस मामले को लेकर अभिभावकों में आक्रोश है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि बीएसए कार्यालय में वर्षों से तैनात बाबुओं और कर्मचारियों की जांच की जाए तथा कोरोना काल से बकाया धनराशि तत्काल अभिभावकों को भेजी जाए। यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो अभिभावक बड़े आंदोलन की तैयारी कर सकते हैं।

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