वाराणसी
बिजली के निजीकरण के खिलाफ जनजागरण अभियान का शुभारंभ

पार्षदों और ग्राम प्रधानों ने दिया समर्थन
वाराणसी। तरना विद्युत उपकेंद्र पर मंगलवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले बिजली के निजीकरण के विरोध में जनजागरण अभियान की शुरुआत की गई। इस अवसर पर बिजली कर्मचारियों के साथ पार्षद एवं ग्राम प्रधानों ने भी निजीकरण के विरोध में स्वर बुलंद किए और इसे जनविरोधी कदम बताते हुए सरकार से प्रस्ताव निरस्त करने की मांग की।
सभा को संबोधित करते हुए गनेशपुर वार्ड के पार्षद संदीप ने कहा कि बिजली का निजीकरण आमजन के हित में नहीं है। उन्होंने बिजली कर्मियों के आंदोलन को सराहते हुए कहा कि यह जनहित का मुद्दा है जिसे सदन में भी उठाया जाएगा।
भवानीपुर के पार्षद गोविंद प्रसाद पटेल ने कहा कि “बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सेवाएं हमेशा सरकारी नियंत्रण में रहनी चाहिए। निजी कंपनियां मीटर रीडिंग जैसे काम में पहले से लगी हैं, लेकिन उपभोक्ताओं की शिकायतें रोजाना मिलती हैं। यदि पूरे विभाग का निजीकरण हुआ तो आम जनता का शोषण निश्चित है।”
चौमाई गांव के ग्राम प्रधान मुकेश ने आंदोलन को जनांदोलन का रूप देने की बात कही और कहा कि वे अन्य ग्राम प्रधानों के साथ बैठक कर जनता को इस मुद्दे पर जागरूक करेंगे।
भिखारीपुर में होगा विरोध प्रदर्शन
संघर्ष समिति के बैनर तले बुधवार को दोपहर 2 से 5 बजे तक भिखारीपुर में किसान संगठनों द्वारा आयोजित प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन के समर्थन में बिजलीकर्मी भी प्रदर्शन करेंगे।
मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा ज्ञापन
पार्षदों और ग्राम प्रधानों ने एक स्वर में कहा कि बिजली निजीकरण प्रस्ताव को जनहित में निरस्त कराने हेतु मुख्यमंत्री को पत्र भेजा जाएगा। यदि आवश्यकता पड़ी तो वे भी आंदोलन में सक्रिय भागीदारी करेंगे।
संघर्ष समिति का आरोप: निजीकरण की योजना कॉर्पोरेट गठजोड़ का परिणाम
संघर्ष समिति ने पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन के इस बयान कि “नीति कर्मचारी संगठन तय नहीं करेंगे”, पर पलटवार करते हुए कहा कि नीति निर्धारण का अधिकार किसी कथित डिस्कॉम एसोसिएशन को भी नहीं दिया जा सकता। समिति ने आरोप लगाया कि नवंबर 2024 में लखनऊ के एक पांच सितारा होटल में आयोजित मीटिंग में बिजली वितरण निगमों के निजीकरण का निर्णय लिया गया, जिसमें ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोसिएशन का गठन हुआ।
इस नवगठित संगठन के महासचिव डॉ. आशीष गोयल और कोषाध्यक्ष अमरदीप सिंह (सीईओ, बीएसईएस यमुना रिलायंस पॉवर) बनाए गए। समिति ने इसे कॉर्पोरेट लॉबी का हिस्सा बताते हुए कहा कि पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का फैसला इसी समूह की सिफारिश पर हुआ है।
समझौतों का उल्लंघन: संघर्ष समिति का सवाल
संघर्ष समिति ने 5 अप्रैल 2018 और 6 अक्टूबर 2020 को ऊर्जा मंत्री एवं वित्त मंत्री से हुए लिखित समझौतों का हवाला देते हुए कहा कि इन समझौतों में यह स्पष्ट था कि संघर्ष समिति को विश्वास में लिए बिना निजीकरण की कोई प्रक्रिया नहीं की जाएगी। समिति ने पूछा कि इन समझौतों के उल्लंघन की जिम्मेदारी कौन लेगा?
जॉइंट मैनेजमेंट काउंसिल निष्क्रिय
वर्ष 2000 में गठित जॉइंट मैनेजमेंट काउंसिल की बैठक 20 वर्षों से नहीं बुलाई गई। समिति ने कहा कि यदि यह प्रणाली सक्रिय होती, तो कर्मचारियों के विचार भी नीति निर्धारण में शामिल होते।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बनी बाधा
संघर्ष समिति ने यह भी कहा कि पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन अनावश्यक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर अभियंताओं पर दवाब बनाते हैं जिससे बिजली आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित होती है। अभियंताओं का मुख्य कार्य उपभोक्ताओं को निर्बाध आपूर्ति देना है, न कि लंबी-लंबी बैठकों में समय व्यर्थ करना।
सभा को इंजीनियर नरेंद्र वर्मा, मनीष राय, सियाराम, अंकुर पांडेय, अभिजीत कुमार, लालब्रत, सौरभ श्रीवास्तव, राहुल श्रीवास्तव, मनोज यादव, रविंद्र कुमार, रजनीश और अमरनाथ सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया।