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गाजीपुर

बहरियाबाद में रक्षाबंधन का पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया

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कृष्ण-द्रौपदी से लेकर रानी कर्णावती-हुमायूँ तक जुड़ी पौराणिक कथाएं

बहरियाबाद (गाजीपुर)। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के बीच के अटूट प्रेम और कर्तव्य के रिश्तों का प्रतीक है, जिसे बहरियाबाद क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में धूमधाम से मनाया गया। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा करने और हर मुश्किल घड़ी में उसका साथ देने का वादा करते हैं। हर भाई अपनी बहन के लिए सौगात के रूप में मिठाइयां एवं अन्य सामान भेंट करता है। रक्षाबंधन के पावन पर्व पर बहनों ने अत्यंत हर्ष और उल्लास के साथ अपने भाइयों से आशीर्वाद लिया।

इस त्योहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं—

कृष्ण और द्रौपदी की कथा: महाभारत में, जब भगवान कृष्ण की उंगली सुदर्शन चक्र से कट गई थी, तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। इस स्नेह से अभिभूत होकर कृष्ण ने द्रौपदी की हर संकट में रक्षा करने का वचन दिया, जिसे उन्होंने बाद में चीरहरण के समय निभाया।

इंद्र और इंद्राणी की कथा: एक बार जब देवताओं और दानवों के बीच युद्ध हो रहा था, तो इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने अपने पति की जीत के लिए उनके हाथ पर एक रक्षा सूत्र बांधा, जिससे इंद्र की रक्षा हुई और वे विजयी हुए।

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रानी कर्णावती और हुमायूँ की कथा: मेवाड़ की रानी कर्णावती ने, बहादुर शाह से अपने राज्य की रक्षा के लिए, मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजी थी। हुमायूँ ने राखी का मान रखते हुए रानी की मदद की। इसीलिए यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है।

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