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गाजीपुर

बहरियाबाद में यूरिया संकट गहराया, कालाबाजारी और जमाखोरी से बढ़ी किसानों की परेशानी

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गाजीपुर। बहरियाबाद एवं आस-पास के क्षेत्रों में यूरिया खाद के लिए किसान दर-दर भटक रहे हैं। यूरिया खाद न मिलने से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। किसान खाद के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़े होने को मजबूर हैं, लेकिन फिर भी उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है। इससे उनकी फसलें प्रभावित हो रही हैं और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कई जगहों पर तो किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकारी कार्यालयों पर ताला भी लगा रहे हैं।

यूरिया खाद की कमी के मुख्य कारण:
कालाबाज़ारी और जमाखोरी: कुछ व्यापारी और बड़े किसान यूरिया का स्टॉक कर रहे हैं और उसे ऊँचे दामों पर बेच रहे हैं, जिससे छोटे किसानों को सही कीमत पर खाद नहीं मिल पा रही है।

आपूर्ति में कमी: माँग के अनुसार यूरिया की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। आयात में कमी और वितरण प्रणाली में खामियाँ भी इसका एक बड़ा कारण हैं।

भ्रष्टाचार: सहकारी समितियों और निचले स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आ रही हैं, जहाँ अधिकारी यूरिया को सही जगह पर पहुँचाने की बजाय उसे निजी दुकानों को बेच रहे हैं।

सरकार का कहना है कि यूरिया की कोई कमी नहीं है और कालाबाज़ारी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। यूरिया के वितरण की निगरानी भी की जा रही है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह सीधे किसानों तक पहुँचे।

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किसान भाइयों को यूरिया समय से न मिल पाने पर रासायनिक विकल्प:

अमोनियम सल्फेट: यह यूरिया का एक बहुत अच्छा विकल्प है जिसमें 20.5% नाइट्रोजन और 23% सल्फर पाया जाता है। यह यूरिया की तुलना में पौधों को नाइट्रोजन जल्दी उपलब्ध कराता है जिससे फसल में जल्दी हरियाली आ जाती है।

नैनो यूरिया: यह यूरिया का तरल रूप होता है। इसकी एक छोटी बोतल (500 मिलीलीटर) पारंपरिक यूरिया की एक बोरी के बराबर काम कर सकती है। इसे पौधों पर सीधे स्प्रे किया जाता है जिससे यह बहुत प्रभावी होता है और कम मात्रा में उपयोग होता है।

अमोनियम नाइट्रेट लिक्विड: यह भी नाइट्रोजन का एक अच्छा स्रोत माना जाता है जिसे स्प्रे के माध्यम से इस्तेमाल किया जाता है।

जैविक और प्राकृतिक विकल्प: गोबर की खाद और वर्मी कम्पोस्ट — यह दोनों जैविक खाद नाइट्रोजन के साथ-साथ अन्य पोषक तत्व प्रदान करते हैं। इनका उपयोग मिट्टी की उर्वरता और बनावट में सुधार करता है।

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सरसों की खली: इसमें भी अच्छी मात्रा में नाइट्रोजन (लगभग 4%) होता है। इसे सरल रूप में तैयार करके इस्तेमाल किया जाता है। यह पर्यावरण के लिए भी बेहतर माना जाता है।

यह एक गंभीर समस्या है क्योंकि समय पर खाद न मिलने से फसलों की पैदावार पर सीधा असर पड़ता है, जिससे किसानों की आय कम हो जाती है।

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